राज्य ब्यूरो, लखनऊ। चित्रकूट कोषागार के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से हुए 43.13 करोड़ रुपये के घोटाले ने निदेशालय की आंखें खोल दी है। चित्रकूट घोटाले की जांच के लिए बनाई गई दो सदस्यीय कमेटी एक सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट देगी। वहीं कोषागारों का कामकाज वर्ष 2014 से आनलाइन हुआ है तब से अब तक की विशेष आडिट कराने की तैयारी निदेशालय स्तर से की जा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस घोटाले के बाद अब प्रदेश के सभी कोषागारों के पेंशन खातों की जांच कर लेने के आदेश मुख्य कोषाधिकारियों को दिए गए हैं।कोषागार के साफ्टवेयर की कमियां भी दूर की जाएंगी, जिससे भविष्य में इस तरह का खेल कोई न कर सके।
चित्रकूट में घोटाला सामने आने के बाद कोषागार निदेशालय ने घोटाले के कारणों का पता करने और कमियों को दूर करने की दिशा में काम शुरू किया है।
कोषागार निदेशक वीके सिंह के मुताबिक इस प्रकरण की जांच चित्रकूट के एडीएम (न्यायिक) और मंडलीय संयुक्त आयुक्त कोषागार को दी गई है। यह टीम एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी। टीम की रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
निदेशक के मुताबिक जिन 93 पेंशनरों के खाते में एरियर के नाम पर 43 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे, उन सभी खातों को फ्रीज करा दिया गया है। इन खातों से अब कोई लेन देन नहीं हो सकेगा। घोटाले की धनराशि में से 1.83 करोड़ रुपये वापस आ गए हैं। ये घोटाले वर्ष 2018 से 2025 के बीच हुए हैं।
सभी कोषागारों के मुख्य कोषाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वह अपने कोषागारों में पेंशन खातों की जांच करा लें। गौरतलब है कि पुलिस ने इस मामले में दो दिनों के अंदर 30 लोगों को गिरफ्तार किया है। |