पार्षद ऋतु सवनेर का अनोखा विरोध
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुशासन का दंभ भरने वाली भाजपा में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा। खुद की नगर सरकार के खिलाफ खुद के दल के पार्षद आवाज उठा रहे। बुधवार को हुई नगर निगम परिषद की बैठक में भी यही दिखा, जब भाजपा पार्षद ऋतु सवनेर चप्पलों की माला गले में पहनकर पहुंचीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सवनेर वार्ड 24 से पार्षद हैं। चप्पलों की माला पहनकर बैठक में पहुंचने के मामले में पार्षद सवनेर ने कहा कि जब अच्छा काम होता है तो वार्डवासी फूलों की माला पहनाते हैं, लेकिन नगर निगम ने शहर की हालत दयनीय बना दी। वार्डों में विकास नहीं हो रहा। इसलिए मैंने ये माला पहनना स्वीकार की। कई माह से आवेदन-निवेदन किया, लेकिन नगर निगम में सुनवाई नहीं होती।
पार्षद ऋतु सवनेर का अनोखा विरोध
नाली की समस्या है, पेयजल की समस्या है, कचरा संग्रहण वाहनों की समस्या है, मूलभूत सुविधाएं लोगों को नहीं मिल पा रही। नगर निगम में सुनवाई नहीं होती तो कलेक्टर के पास जाते हैं। कलेक्टर द्वारा आदेशित होने के बाद भी समस्या हल नहीं होती। मैं इसलिए ही आवेदन लेकर आई हूं क्योंकि यहां निगम के इंजीनियर यह भी बोल सकते हैं कि हमारे पास तो आवेदन आया ही नहीं, इसलिए सबूत दिखा दूंगी।
इधर, पूरी बैठक के दौरान जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के बीच पार्षद ही चर्चा में रहीं। भाजपा के पार्षद मुस्कुराते रहे तो महापौर-सभापति दबीजुबान कहते रहे कि ये सब लाइट में आने के लिए किया है। सभापति रवि जैन ने कहा कि जो पार्षद आरोप लगा रहीं हैं, उनके वार्ड में करीब साढ़े तीन करोड़ के कार्य प्रस्तावित हैं। विकास हो रहा है, लेकिन वे देख नहीं रहीं।
हर मामले में सुस्त संगठन
घटनाक्रम को चर्चा हुई कि सांसद, विधायक, महापौर से लेकर पूरी परिषद भाजपा की है, लेकिन भाजपा की ही पार्षद को अपनी सरकार के खिलाफ आवाज उठाना पड़ रही। संगठन सुस्त है, इसलिए संगठन का किसी को डर नहीं। पहले भी एेसे कई मामले हुए हैं, जिनमें संगठन की सुस्ती नजर आई है। पार्टी पदाधिकारियों की अनुशासनहीनता पर संगठन चुप्पी साधे रहता है।
देवास में सांसद वर्सेज विधायक
घटनाक्रम को सांसद-विधायक के बीच की राजनीतिक खींचतान से जोड़कर भी देखा जा रहा है। सांसद महेंद्रसिंह सोलंकी और विधायक गायत्रीराजे पवार के बीच राजनीतिक दूरियां बढ़ गई हैं। निगम में महापौर, सभापति सहित अधिकांश पार्षद विधायक समर्थक हैं तो कुछ सांसद समर्थक पार्षद भी हैं, जो खुद को राष्ट्रवादी पार्षद कहते हैं। सवनेर भी सांसद समर्थक हैं। निगम में विधायक व उनके समर्थकों का दखल अधिक रहता है, जिस कारण सांसद समर्थक विरोध में आते हैं। पहले भी एेसी घटनाएं हुई हैं, लेकिन निगम का ढर्रा नहीं सुधर सका। |