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सिर पर मौत की गठरी लेकर सड़कों पर फर्राटा भर रहीं निजी अंतरराज्यीय बसें, इस वजह से गई 20 यात्रियों की जान

LHC0088 7 day(s) ago views 433

  



नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। राजस्थान के जैसलमेर में बस में आग लगने की ह्दयविदारक घटना में सोमवार को 20 यात्रियों की मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में पता चला कि बस में सवारी वाहन में प्रतिबंधित पटाखे रखे हुए थे, जिससे आग विकराल हो गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

दिल्ली से संचालित होती पांच हजार से अधिक अंतरराज्यीय निजी बसों में से अधिकतर द्वारा भी कुछ ऐसा ही काम किया जा रहा है, जिससे यात्रियों की जान बराबर खतरे में बनी रहती है। उनके द्वारा जहां एक ओर बिना ईवे बिल के सामानों की ढुलाई से जहां वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी बड़े स्तर पर की जा रही है। वही, प्रतिबंधित नशीले पदार्थ और ज्वलनशील समानों की ढुलाई कर यात्रियों की जान और देश की सुरक्षा को खतरे में डाला जा रहा है।

दिल्ली से उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश व अन्य राज्यों के साथ ही नेपाल तक निजी बसें यात्रियों को लेकर संचालित होती है। जानकारों की माने तो उसमें से अधिकतर बसें अवैध रूप से संचालित हो रही हैं। क्योंकि, इन बसों को नेशनल परमिट पर्यटकों को लाने, ले जाने के लिए मिला है, लेकिन ये सवारियां ढो रही हैं। इसी तरह, शिक्षा व वैवाहिक टूर के नाम पर भी इन बसों का अवैध संचालन सवारियों को ढोने में किया जाता है, जो बिना परिवहन विभाग और यातायात पुलिस के मिलीभगत के संभव नहीं है।

इसके लिए पूरी संगठित व्यवस्था काम कर रही है। उससे बढ़कर ये बसें यात्रियों की ढुलाई की जगह सामानों की ढुलाई का साधन बन गई है।

खासकर पुरानी दिल्ली में कश्मीरी गेट के साथ ही मोरी गेट, कमला मार्केट, तीस हजारी, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने, क्वीन मैरी स्कूल के समीप, खन्ना मार्केट, सदर बाजार, गली चमेलियांन, गुरु नानक आइ अस्पताल के बाहर तथा राजेंद्र मार्केट जैसे स्थानों पर प्रतिदिन खुलेआम यात्री बसों में माल लादा और उतारा जा रहा है।
भार क्षमता से अधिक वजन लेकर चल रही बसें

एक तो सारी सीटें सवारियों से भरी होती हैं। उसके बाद नीचे डिग्गी, छत के साथ ही बस के गलियारे में सामानें भर दी जाती है। सामानों के साथ कर्मचारी भी गलियारे में बैठ जाते हैं, जो बीच रास्ते में उसे उतार देते हैं। इस तरह भार क्षमता से अधिक सामान हो जाता है, जिससे बस टेढ़ी होकर चलती है।
फिटनेस प्रमाण पत्र में मानक ताक पर

निजी अंतरराज्यीय बसों के संचालन में फिटनेस मानकों की पूरी तरह से अनदेखी हो रही है। सीटों के बीच तथा गैलरी में पर्याप्त स्थान का नियम है। इसी तरह, आपात द्वार अनिवार्य है, जिसके सामने भी पर्याप्त खाली स्थान हो, लेकिन बस मालिक पहले तो अब वह गेट नहीं लगवा रहे, दूसरे आपात द्वार है तो उसके सामने भी पैसे के लोभ में सीटें लगवा दी है। जिससे किसी आपदा की स्थिति में यात्रियों को कुछ मिनट में बस से निकलना संभव नहीं होता है।
बिना परमिट चल रही अंतरराज्यीय निजी बसें

पूर्वी दिल्ली, दक्षिणी व बाहरी दिल्ली से भी ऐसे बसों का संचालन बहुतयात में जिनके पास परमिट नहीं है और स्थानीय पुलिस व यातायात पुलिस के सांठगांठ से संचालित हो रही है, रात्रि में ये दिल्ली से निकलती हैं। इनमें ठूंस-ठूंस के यात्रियों को बैठाते हैं। बसों के छतों पर भी सामान भरकर ले जाते हैं।

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बाहरी जिल्ली में रोहिणी सेक्टर-20, 23, 24 मांगेराम राम पार्क, निठारी, हैदरपुर बादली मोड़ के साथ पूर्वी दिल्ली में अक्षरधाम, वेस्ट विनोद नगर समेत दिल्ली के कई अन्य स्थानों से बसें चलाई जा रही हैं। अधिकतर बसें सवारी लेने के लिए कालोनियों या रिहायशी क्षेत्रों के आसपास खड़ी होती है। त्योहारों के समय इनकी संख्या में बढ़ जाती है।


दिल्ली सहित देशभर में यात्री बसों के माध्यम से अवैध, प्रतिबंधित तथा गैरकानूनी ढंग से सामान लाने-लेजाने का कारोबार खुलेआम चल रहा है। यह न केवल मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि यात्रियों की जान के साथ भी गंभीर खिलवाड़ है। हमने इस विषय में अनेक बार दिल्ली सरकार, व्यापार व कर विभाग, परिवहन विभाग, दिल्ली पुलिस तथा यातायात पुलिस को लिखित व मौखिक शिकायत की, लेकिन अब तक किसी भी एजेंसी ने इस पर ठोस कदम नहीं उठाया। - राजेन्द्र कपूर, अध्यक्ष, आल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन

बसों में माल ढुलाई प्रतिबंधित है, लेकिन विभागों की मिलीभगत से पूरे देश में ऐसा हो रहा है और यात्रियों की जान को खतरे में डाला जा रहा है। सवाल कि टूरिस्ट परमिट वाली बसों में गैरकानूनी तरीके से सवारियों को कैसे लाया ले जाया जा रहा है? इसके लिए सख्ती और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था के साथ व्यवहारिक कानून की भी आवश्यकता है। - हरीश सब्बरवाल, अध्यक्ष, आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस
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