एच-1बी वीजा: ट्रंप प्रशासन से भारतीयों को राहत (फाइल फोटो)  
 
  
 
 
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ट्रंप प्रशासन द्वारा विवादास्पद एक लाख डॉलर के एच-1बी वीजा शुल्क में ढील देने के निर्णय से अमेरिका में पहले से मौजूद हजारों भारतीय पेशेवरों और छात्रों को राहत मिली है, लेकिन ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआइ) ने चेतावनी दी है कि विदेशी छात्रों के प्रवेश पर नए प्रतिबंध अमेरिका में प्रतिभाओं के दीर्घकालिक प्रवाह को कमजोर कर सकते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
दरअसल, एक दिन पहले ट्रंप प्रशासन की ओर से एच-1बी वीजा के लिए नए आवेदनों पर एक लाख डालर शुल्क लगाए जाने पर स्थिति स्पष्ट की गई थी। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा ने 21 अक्टूबर को स्पष्ट किया कि मौजूदा वीजा धारकों और अमेरिका में पहले से मौजूद छात्रों को 19 सितंबर को घोषित एक लाख डॉलर का भारी शुल्क नहीं देना होगा।  
प्रवासी भारतीयों को बड़ी राहत  
 
साथ ही शुल्क ऐसे आवेदकों पर लागू नहीं होगा, जो अपने \“स्टेटस\“ में बदलाव चाहते हैं या प्रवास अवधि को बढ़ाना चाहते हैं। छूट में एफ-1 से एच-1बी वीजा में जाने वाले छात्र और इंट्रा-कंपनी एल-1 वीजा से एच-1बी वीजा में जाने वाले पेशेवर शामिल हैं, जिससे प्रवासी भारतीयों के एक बड़े वर्ग को राहत मिली है।  
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने क्या कहा?  
 
हालांकि, ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने कहा है कि यह राहत विदेशी छात्रों के प्रवेश पर लगाई गई नई कैपिंग के कारण प्रभावित होगी। इसके अनुसार कुल छात्रों का केवल 15 प्रतिशत ही विदेशी छात्र होने चाहिए। साथ ही यह किसी एक देश से पांच प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता, जो भारतीयों के लिए अमेरिका में पढ़ाई करना और बाद में वर्क वीजा प्राप्त करना कठिन बना देती है। यह भविष्य की प्रतिभाओं के लिए प्रवेश द्वार को तेजी से कम कर देता है। (समाचार एजेंसी एएनआइ के इनपुट के साथ) |