LHC0088                                        • 2025-10-21 14:37:21                                                                                        •                views 817                    
                                                                    
  
                                
 
  
 
    
 
Bhai Dooj 2025: भाई दूज से जुड़ी प्रमुख बातें।  
 
  
 
दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। भाई दूज, जो दीपावली के ठीक बाद आता है, भाई-बहन के रिश्ते को नए सिरे से जोड़ने और उनके प्रेम को मान देने वाला एक विशेष अवसर है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, खुशहाली और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। वहीं भाई भी अपने प्रेम और आशीर्वाद के साथ बहन को उपहार देते हैं। यह पर्व भाई-बहन के पारंपरिक रिश्ते की मिठास और सुरक्षा का प्रतीक है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
    
रक्षाबंधन और भाई दूज: समय और परंपरा का अंतर  
 
अक्सर लोग यह सोचते हैं कि रक्षाबंधन और भाई दूज दोनों ही भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह को दर्शाते हैं, तो फिर इन्हें अलग-अलग क्यों मनाया जाता है। इसका कारण इनके समय, रीति और परंपरा में निहित है। रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जब बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी सुरक्षा और भलाई की कामना करती है। इसके विपरीत, भाई दूज कार्तिक मास की कृष्ण द्वितीया को मनाया जाता है, जो दीपावली के कुछ दिन बाद पड़ता है। इस दिन बहन भाई का स्वागत करती है, तिलक करती है और उसे अपने हाथों से भोजन कराकर स्नेह जताती है।  
पर्वों के नाम और अर्थ  
 
संस्कृत में इन पर्वों के नाम और अर्थ भी उनके महत्व को स्पष्ट करते हैं। रक्षा बंधन को “रक्षिका“ या “रक्षा सूत्र बंधन“ कहा जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उसकी सुरक्षा और भलाई की कामना करती है। यह बंधन भाई-बहन के स्नेह और सुरक्षा की भावना को मजबूत करता है। वहीं भाई दूज को “भागिनी हस्ता भोजना“ कहा जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को घर बुलाकर तिलक करती है, गोला और मिश्री देती हैं, आरती उतारती है और अपने हाथों से भोजन कराकर प्रेम और स्नेह व्यक्त करती है।  
बहनों की भूमिका में अंतर  
 
रक्षाबंधन और भाई दूज दोनों पर्वों में बहनों की भूमिका अलग महत्व रखती है। रक्षाबंधन पर बहन अपनी भावना और स्नेह के माध्यम से भाई की कलाई पर राखी बांधती है, जिससे भाई उसे अपने जीवन में सुरक्षा और संरक्षण का वचन देता है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते में विश्वास और जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करता है। वहींं, भाई दूज पर बहन अपने भाई का स्वागत करती है, तिलक करके उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती है, और अपने हाथों से भोजन कराकर अपने प्रेम और सेवा का भाव व्यक्त करती है।  
 
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लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें। |   
                
                                                    
                                                                
        
 
    
                                     
 
 
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