प्रतीकात्मक तस्वीर।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया है कि वे 31 दिसंबर, 2025 तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के सभी प्रमुख प्रदूषणकारी उद्योगों में रीयल-टाइम उत्सर्जन निगरानी प्रणाली और कैमरों की स्थापना और संचालन सुनिश्चित करें। इस कदम का उद्देश्य दिल्ली-एनसीआर में लगातार खराब हो रही वायु गुणवत्ता के बीच उद्योगों में निगरानी और स्व-नियमन को मजबूत करना है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सीपीसीबी ने कहा कि एनसीआर में 2,361 खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा और धातु प्रसंस्करण इकाइयों में से 2,010 ने अभी तक अपने आनलाइन निरंतर उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) को स्थापित और सीपीसीबी सर्वर से कनेक्ट नहीं किया है।
इसी को ध्यान में रख नए निर्देशों में, सीपीसीबी के सदस्य सचिव भरत कुमार शर्मा ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को रेड श्रेणी की सभी इकाइयों में ओसीईएमएस और पैन-टिल्ट-ज़ूम (पीटीजेड) कैमरे लगाने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने का निर्देश दिया है।
सीपीसीबी ने कहा कि ये प्रणालियां उत्सर्जन, गैसों और औद्योगिक संचालन की वास्तविक समय पर निगरानी करने में सक्षम होंगी। निर्देशों के अनुसार, खाद्य, कपड़ा और धातु इकाइयों में बायलर, भट्टियों और थर्मिक द्रव हीटरों में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) की निगरानी के लिए ओसीईएमएस लगाए जाएंगे।
मेट-कोक, कम सल्फर वाले हेवी स्टाक या अल्ट्रा-लो सल्फर तेल जैसे ईंधन का उपयोग करने वाले धातु उद्योगों को सल्फर डाईऑक्साइड (एसओटू) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स) की भी निगरानी करनी होगी। स्टैक उत्सर्जन, धुआँ निष्कर्षण क्षेत्रों और बायलर संचालन की निगरानी के लिए पीटीजेड कैमरे लगाए जाएंगे। राज्य प्रदूषण बोर्डों को 15 दिनों के भीतर सीपीसीबी को \“कार्रवाई रिपोर्ट\“ प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
सीपीसीबी ने कहा कि ये निर्देश 2018 और 2019 के पूर्व आदेशों का पालन करते हैं, जिनके तहत एनसीआर के सभी मध्यम और रेड श्रेणी के बड़े उद्योगों को परिचालन शुरू करने से पहले ओसीईएमएस स्थापित और कनेक्ट करना आवश्यक था। हालांकि, राज्य बोर्डों द्वारा किए गए सत्यापन में बड़े पैमाने पर गैर-अनुपालन पाया गया।
एजेंसी ने यह भी बताया कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनपीएल) को ओसीईएमएस प्रमाणन और अनुरूपता परीक्षण के लिए राष्ट्रीय सत्यापन एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।
सीपीसीबी ने कहा कि नवीनतम आदेश \“प्रदूषणकर्ता भुगतान करें\“ सिद्धांत के तहत औद्योगिक स्व-निगरानी में एकरूपता और जवाबदेही लाने का प्रयास करता है।
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