LHC0088                                        • 2025-10-14 02:36:35                                                                                        •                views 518                    
                                                                    
  
                                
 
  
 
    
 
Pradosh Vrat 2025 Date: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व  
 
  
 
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाही मुराद पाने के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक शिव-शक्ति की कृपा के भागी बनते हैं।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
     
 
धार्मिक मत है कि भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। इसके लिए साधक त्रयोदशी तिथि पर भक्ति भाव से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करते हैं। आइए, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले प्रदोष व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त जानते हैं-  
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)  
  
 - त्रयोदशी तिथि की शुरुआत - 18 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर 
 
  - त्रयोदशी तिथि की समापन - 19 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 51 मिनट पर 
 
    
प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025 Kab Hai)  
 
सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। हालांकि, प्रदोष व्रत समेत कई विशेष पूजा के लिए सूर्योदय से तिथि की गणना नहीं की जाती है। इसके लिए प्रदोष काल और निशा काल मुहूर्त देखा जाता है। प्रदोष व्रत के लिए संध्या बेला (प्रदोष काल) का मुहूर्त देखा जाता है। इस समय यानी प्रदोष काल में देवों के देव महादेव और जगत की देवी मां पार्वती की पूजा की जाती है। इस प्रकार गणना से 18 अक्टूबर को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।  
प्रदोष व्रत शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)  
 
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही प्रदोष व्रत पर अभिजीत मुहूर्त का भी संयोग है। शिववास योग के दौरान भगवान शिव कैलाश पर नंदी की सवारी करेंगे। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की मनचाही मुराद पूरी होगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।  
पंचांग  
  
 - सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर 
 
  - सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 48 मिनट पर 
 
  - ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 43 मिनट से 05 बजकर 33 मिनट तक 
 
  - विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजे से लेकर 02 बजकर 46 मिनट तक 
 
  - गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 48 मिनट से 06 बजकर 14 मिनट तक 
 
  - निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक 
 
    
 
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