राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश को एक ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य में अधिक से अधिक योगदान के लिए पशुधन विभाग अब पशुपालकों एवं फील्ड कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने जा रहा है। उनको पशुपालन में नवीनतम तकनीक, प्रजनन, पोषण, रोग प्रबंधन, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, पशु अपशिष्ट प्रबंधन में प्रशिक्षण किया जाएगा, जिससे वे पशुपालन संबंधी उत्पादन को बढ़ा सकेंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
प्रदेश के पशुपालन क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) के 14 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। इस हिसाब से वित्तीय वर्ष 2023-24 का 1.43 लाख करोड़ रुपये का जीवीए वित्तीय वर्ष 2028-29 में बढ़कर 2.75 लाख करोड़ रुपये होने की संभावना जताई है।
यह एक ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य का ही एक हिस्सा है। इसे हासिल करने के लिए विभाग डेरी, पोल्ट्री आदि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता दोनों को बढ़ाने की कोशिश में है। इसके लिए ही प्रशिक्षण की योजना बनाई गई है। इसके तहत पहले 150 मास्टर ट्रेनर्स को विभिन्न विश्वविद्यालयों में छह बैच में पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।
ये मास्टर ट्रेनर्स आगे 6400 पैरावट्स को प्रशिक्षित करेंगे। इसके बाद पैरावेट्स द्वारा 1,65,200 पशुपालकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षित होने के बाद पशुपालक और अधिकारी, नवीन उत्पादन पद्धति को अपनाकर पशुओं के स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार करेंगे।
पशुओं-पोल्ट्री (दुग्ध, अंडा, मांस, ऊन आदि) की उत्पादकता, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे इन क्षेत्रों में निवेश भी बढ़ेगा। विशेष सचिव पशुधन देवेंद्र कुमार पांडेय इस संबंध में तैयारी करने और प्रशिक्षण के लिए पशुपालकों के चयन के लिए सभी डीएम को पत्र भेजा है। |