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Bihar Politics: पिता नीतीश के करीबी, बेटा तेजस्वी के साथ; अलग-अलग राजनीतिक राहों में दिलचस्प होगा मुकाबला

LHC0088 Yesterday 23:13 views 1068

  

चाणक्य प्रकाश रंजन ने थामी लालटेन। (फोटो जागरण)



संवाद सूत्र, सिमुलतला (जमुई)। जदयू के बांका सांसद गिरिधारी यादव की राजनीतिक विरासत अब उनके पुत्र चाणक्य प्रकाश रंजन संभालेंगे। बीते दिनों चाणक्य ने राजद नेता तेजस्वी यादव के समक्ष पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।

माना जा रहा है कि वे राजद की टिकट पर बांका जिले के बेलहर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। चाणक्य प्रकाश रंजन बेलहर विधानसभा क्षेत्र में राजद ज्वाइन करने से पहले से ही सक्रिय रहे हैं।

उनके पिता गिरिधारी यादव मूल रूप से जमुई जिले के सिमुलतला थाना क्षेत्र के टेलवा पंचायत अंतर्गत बरौंधिया गांव के निवासी हैं। बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही गिरिधारी यादव अपने एनडीए विरोधी बयानों को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा में रहे थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, सांसद गिरिधारी यादव अभी भी नीतीश कुमार के साथ हैं, जबकि उनका पुत्र स्वतंत्र विचार वाला युवा नेता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सांसद पुत्र के राजद में शामिल होने से बांका के साथ-साथ झाझा और चकाई विधानसभा क्षेत्रों में भी इसका असर दिखेगा।

गिरिधारी यादव का नाम बिहार के जमीनी और जनप्रिय नेताओं में गिना जाता है। उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत भी जमुई से हुई थी। चाणक्य प्रकाश रंजन, सांसद पुत्र होने के साथ-साथ विदेश से शिक्षित और युवा नेतृत्व क्षमता वाले व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं।

उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई डीपीएस, आरके पुरम, नई दिल्ली से की और दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र (आनर्स) की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद लंदन से मास्टर ऑफ पब्लिक पॉलिसी की शिक्षा पूरी की।
गिरिधारी यादव की राजनीतिक यात्रा

गिरिधारी यादव समाजवादी विचारधारा से प्रभावित रहे हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत राजीव गांधी के कार्यकाल में भारतीय युवा कांग्रेस से की थी। बाद में विश्वनाथ प्रताप सिंह की राजनीति से प्रेरित होकर जनता दल से जुड़े। वर्ष 1995 में वे जनता दल की टिकट पर बांका के कटोरिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए।

इसके बाद 1996 में उन्हें 11वीं लोक सभा के लिए बांका से प्रत्याशी बनाया गया और वे पहली बार सांसद बने। 1997 में जनता दल के विभाजन के बाद वे राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हुए। 1998 में वे दिग्विजय सिंह से मामूली अंतर से चुनाव हार गए, लेकिन राजनीति में उनकी पकड़ और मजबूत हुई।

2000 में वे दूसरी बार विधायक, 2004 में 14वीं लोक सभा चुनाव में सांसद और 2010 में जदयू में शामिल होकर बेलहर से विधानसभा चुनाव जीते। 2015 में उन्होंने चौथी बार बेलहर सीट पर जीत दर्ज की। 2019 में वे 17वीं लोकसभा में रिकॉर्ड मतों से विजयी हुए और 2024 में 18वीं लोक सभा के लिए दोबारा निर्वाचित हुए।

चाणक्य प्रकाश रंजन के राजनीति में उतरने से जहां राजद को युवा नेतृत्व का चेहरा मिला है, वहीं, पिता-पुत्र की अलग-अलग राजनीतिक राहें आने वाले चुनाव में दिलचस्प मुकाबले का संकेत दे रही हैं।

यह भी पढ़ें- Bihar Election 2025: महागठबंधन के सीट बंटवारे में क्यों हो रही देरी? सांसद पप्पू यादव ने दिया जवाब
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