जागरण संवाददाता, उरई। सरकारी जमीनों पर कहीं मजार तो कई जगह अनियमित तरीके से कब्जा कर उन पर अतिक्रमण कर लिया गया। पिछले दिनों लोकसभा में पेश किए जाने व वक्फ संशोधन विधेयक संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी को सौंपे जाने के बाद उप्र सरकार की ओर से जिलों में वक्फ की जमीनों की भी जांच कराई गई थी उसमें कई ऐसे तथ्य सामने आए थे जो चौकानें वाले थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
भेजी गई सर्वे रिपोर्ट
जनपद में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से शासन को भेजी गई सर्वे रिपोर्ट के अनुसार जिले में 1013 संपत्तियां निकल कर सामने आई हैं। जिसमें एक शिया व बाकी सुन्नी वक्फ संपत्ति में दर्ज हैं। राजस्व अभिलेखों की जांच में पाया गया कि इनमें 581 संपत्तियों की 125.2241 हेक्टेयर जमीन बंजर, टीला, नदी तल, खलिहान आदि दर्ज हैं, जिन पर मजारें बनाकर वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर लिया गया। इसके अलावा और भी कई सरकारी जमीनों पर जहां-जहां कब्जा है उनके लिए विशेष अभियान चलाया जाना है।
जनपद की सभी पांचों तहसीलों में वक्फ बोर्ड की 1013 संपत्तियां दर्ज हैं। फरवरी माह में तहसीलों से मिली रिपोर्ट में 581 संपत्तियां ऐसी मिली थीं जो सार्वजनिक स्थानों पर हैं। यह सार्वजनिक संपत्ति के तौर पर दर्ज भी हैं। 125.2241 हेक्टेयर जमीन की अनुमानित बाजार कीमत 41 करोड़ पांच लाख के करीब आंकी गई है। शहर में मामू-भांजे, पदमशाह, बेरी वाले बाबा आदि की वक्फ संपत्तियां हैं।
कब्रिस्तान का हो रहा विस्तार
वहीं, करसान रोड पर कब्रिस्तान है। यहां पर पुराना व नया कब्रिस्तान दोनों हैं। इसका धीरे-धीरे विस्तार होता जा रहा है। नियम तो यह है कि वक्फ की संपत्ति वह होती है जो किसी से दान में मिलो हो। जिले में सर्वे के बाद पता चला था कि 581 जमीन राजस्व रिकार्ड में सरकारी है। यह जमीन भी वक्फ संपत्ति में दर्ज कर ली गई। टीला, खलिहान आदि भी वक्फ में दर्ज हैं, जिन पर मजारें व कब्रिस्तान बना लिया गया। माधौगढ़ में ईंटों, अब्दुल्लापुर, अजीतापुर में कई सरकारी जमीन ऐसी हैं जहां अवैध कब्जा है। अब इनका चिन्हांकन हो चुकने के बाद जल्द कब्जा मुक्त कराया जाएगा।
-सरकार की ओर से जारी निर्देश के अनुसार पर जिले भर में जहां भी सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा हैं उन्हें हटवाने के लिए सभी एसडीएम को निर्देश दिए जा चुके हैं, इसके लिए एक साथ अभियान चलेगा। -राजेश कुमार पांडेय, जिलाधिकारी। |