सहनी और वाम दलों के कारण अटका है महागठबंधन में सीटों का बंटवारा  
 
  
 
  
 
राज्य ब्यूरो, पटना। महागठबंधन में सीटों का बंटवारा (Bihar Mahagathbandhan Seat Sharing) विकासशील इंसान पार्टी (VIP) और वाम दलों की मांग के बीच फंस गया है। पिछले चुनाव में राजद के बाद सबसे बड़ी हिस्सेदार कांग्रेस थी। वह 70 सीटों पर लड़ी थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
कांग्रेस 50-55 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए राजी हो गई है, लेकिन बाद में शामिल हुई विकासशील इंसान पार्टी 30 से कम सीटों पर राजी नहीं हो रही है। वीआईपी की बढ़ी मांग को देखते हुए वाम दलों ने भी दबाव बढ़ा दिया है।  
 
  
30 सीटों पर अड़ा है भाकपा माले  
 
पिछली बार 19 सीटों पर लड़कर 12 पर जीत दर्ज करने वाले भाकपा माले ने पहले 34 सीटों की सूची दी थी। भाकपा माले कम से कम 30 सीट पर अड़ा है। माले का तर्क है कि बिना विधायक और सांसद वाली पार्टी वीआईपी को अगर 20 सीटें दी जा सकती है तो 12 विधायक और दो सांसदों वाली पार्टी कम सीटों पर कैसे मान जाएगी।  
 
माले के अलावा भाकपा और माकपा ने भी अधिक सीटों की मांग की है। भाकपा ने 24 सीटों की मांग की है। पिछली बार उसे छह सीटें दी गई थीं, जिनमें दो पर उसकी जीत हुई। माकपा को भी छह से अधिक सीटें चाहिए। माकपा बेगूसराय जिले की मटिहानी विधानसभा सीट पर अपनी दावेदारी नहीं छोड़ रहा है।  
 
  
 
मटिहानी के पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार सिंह पिछली बार जदयू टिकट पर चुनाव हार गए थे। चुनाव की घोषणा के कुछ दिन पहले वे राजद में शामिल हो गए। राजद ने उन्हें उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है।  
 
वैसे, वीआईपी के संस्थापक मुकेश सहनी का दावा है कि सीटों की संख्या को लेकर घटक दलों में कोई विवाद नहीं है। समय आने पर सब ठीक हो जाएगा।  
 
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