दिल्ली विश्वविद्यालय की बीएससी की छात्रा वर्षा की फाइल फोटो।  
 
  
 
  
 
गजेंद्र पांडेय, ग्रेटर नोएडा। घरों से निकल कर लैंडफिल तक पहुंचाए जाने वाले जैविक खाद्य अपशिष्ट से वर्षा का आइडिया स्टार्टअप ‘अपशिष्ट से कृषि सतत प्रणाली’ जैव उर्वरक बनाने का काम करेगा। इससे अपशिष्ट से पर्यावरण में फैलने वाले प्रदूषण की रोकथाम और किसानों को सस्ते मूल्य पर जैव उर्वरकों की उपलब्धता होगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
एमएसएमई मंत्रालय ने वर्षा के आइडिया को पसंद किया है। स्टार्टअप विकसित करने 15 लाख रुपये की ग्रांट जारी की है। दिल्ली विश्वविद्यालय की बीएससी की छात्रा वर्षा का आइडिया स्टार्टअप ग्रेटर नोएडा के आइटीएस कॉलेज से इन्क्युबेट है। उनका आइडिया लैंडफिल से जैविक खाद्य अपशिष्ट को हटाकर जैव उर्वरकों में परिवर्तित करके मीथेन गैस के उत्सर्जन को समाप्त करेगा।  
 
  
 
इसका उद्देश्य एक शून्य-अपशिष्ट चक्र बनाना है जहां जैविक अपशिष्ट कृषि के लिए एक संसाधन बन जाए। घरों से निकले जैविक खाद्य जैविक अपशिष्ट को एकत्रित किया जाएगा। जिससे अवायवीय पाचन प्रक्रिया (जीवाणु जल-अपघटन द्वारा कार्बनिक पदार्थों को तोड़ने की एक प्रक्रिया) के माध्यम से बायोगैस और जैव उर्वरक उत्पादन शुरू किया जाएगा।  
 
वर्षा ने एलाइड मार्केट रिसर्च रिपोर्ट जिसमें 2020 से 2030 तक जैविक खाद्य अपशिष्ट आठ प्रतिशत बढ़ने की आशंका जताई गई। इस रिपोर्ट को संज्ञान में लेकर आइडिया स्टार्टअप तैयार किया है। इस आइडिया से जैविक खाद्य अपशिष्ट को जैव उर्वरक में परिवर्तित किया जाएगा। इससे दोनों समस्याओं का समाधान होगा।  
 
  
 
उक्त प्रक्रिया स्रोत पर ही मीथेन उत्सर्जन को समाप्त कर देगी, जिससे भविष्य में रिसाव और पर्यावरण प्रदूषण को रोका जा सकेगा। तैयार होने वाले जैव उर्वरक किसानों के लिए एक किफायती और पर्यावरण-अनुकूल होंगे व ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन भी कम करेंगे। इसके अलावा नगरीय निकायों और शहरों के लैंडफिल से जैविक अपशिष्ट को हटा सकेंगे। |