गोरखपुर एम्स। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एम्स के हड्डी रोग के डाक्टरों ने पहली बार रीढ़ की हड्डी की मिनिमली इनवेसिव सर्जरी (एमआइएस) कर 51 वर्षीय महिला को बड़ी राहत दी है। छोटे चीरे से रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन कर डाॅक्टरों ने इतिहास रच दिया। एम्स प्रशासन ने डाक्टरों को बधाई दी है। इसके साथ ही एम्स में एमआइएस की राह भी खुल गई है। इसका लाभ रोगियों को मिलेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बलिया की रहने वाली 51 वर्षीय महिला की रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) की दूसरी कशेरुका एलटू गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी। कई अस्पतालों में दिखाने के बाद स्वजन महिला को लेकर एम्स के हड्डी रोग विभाग में आए। यहां विभागाध्यक्ष डा. अजय भारती ने परीक्षण किया। महिला का मल-मूत्र पर भी नियंत्रण नहीं था। इसके बाद डाॅ. अजय भारती के नेतृत्व में आपरेशन किया गया।
इस तकनीक का उपयोग
एम्स गोरखपुर के डाॅक्टरों ने इस जटिल स्थिति में मिनिमली इनवेसिव पोस्टीरियर लांग सेगमेंट पेडिकल स्क्रू फिक्सेशन, इंडेक्स लेवल स्क्रू आगमेंटेशन तथा पोस्टीरियर डिकम्प्रेशन (हेमीलैमिनेक्टामी) तकनीक का उपयोग किया। इस आधुनिक तकनीक से रीढ़ की हड्डी को स्थिर किया जाता है। इसमें बहुत छोटे चीरे लगाए जाते हैं। इससे ऑपरेशन में कम रक्तस्राव होता है। साथ ही दर्द कम रहता है और रोगी जल्द स्वस्थ होता है।
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एनेस्थीसिया विभाग का योगदान
सर्जरी की सफलता में एनेस्थीसिया टीम का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। टीम का नेतृत्व एसोसिएट प्रोफेसर डा. प्रियंका द्विवेदी व उनकी टीम ने किया।
ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा और रोगी की स्थिति में सुधार होना शुरू हो गया है। उपचार के बाद मल-मूत्र पर नियंत्रण भी धीरे-धीरे वापस आ रहा है। यह सफलता एम्स गोरखपुर के लिए गर्व का क्षण है। मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी जटिल फ्रैक्चर के मामलों में अत्यंत प्रभावी है और रोगी की रिकवरी तेजी से होती है। -
-डाॅ. अजय भारती, विभागाध्यक्ष, हड्डी एवं जोड़ रोग विभाग, एम्स
एम्स की टीम ने जो उत्कृष्ट कार्य किया है, वह संस्थान की क्षमता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस तरह की उन्नत सर्जरी पूर्वांचल के रोगियों को बड़े शहरों पर निर्भर होने से बचाती है और विश्वस्तरीय उपचार यहीं उपलब्ध कराती है। मैं डा. अजय भारती और पूरी टीम को उनकी समर्पण भावना और उत्कृष्ट प्रयास के लिए हार्दिक बधाई देती हूं। -
-डा. विभा दत्ता, कार्यकारी निदेशक, एम्स |