दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बीच एजेंसियों की लापरवाही उजागर, DPCC-CPCB की बोर्ड बैठकें तक समय पर नहीं

deltin33 3 hour(s) ago views 376
  

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर घने कोहरे में गुजरते वाहन। जागरण  



राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी की वायु गुणवत्ता लगातार \“\“बहुत खराब\“\“ से \“\“गंभीर\“\“ श्रेणी में चल रही है। दिल्ली और केंद्र के पर्यावरण मंत्री खुद मोर्चा संभाले हैं लेकिन जिम्मेदार एजेंसियां दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) पूरी तरह बेपरवाह बनी हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सीपीसीबी ने तो दो बार (19 नवंबर और 19 दिसंबर को) बैठक प्रस्तावित कर स्थगित कर दी। इससे इन एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगना लाजिमी है।
हर तीन माह में बैठक करने का है प्रावधान

वाटर (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल आफ पल्यूशन) एक्ट 1974 के नियमानुसार सीपीसीबी और डीपीसीसी दोनों के ही लिए हर तीन माह में बोर्ड बैठक करने का प्रविधान है। लेकिन सीपीसीबी की 205वीं बोर्ड बैठक 23 जुलाई 2025 जबकि डीपीसीसी की 75वीं बोर्ड बैठक 18 जुलाई 2025 को हुई थी।

दोनों ही एजेंसियां बोर्ड बैठक बुलाने में हीलाहवाली कर रही हैं। इससे स्वाभाविक तौर पर प्रदूषण नियंत्रण से जुड़ी कार्रवाई बाधित हो रही है। ऐसे में स्टाफ की कमी और सर्दियों में वायु प्रदूषण की रोकथाम से जुड़े अनेक मुद्दे बोर्ड बैठक के इंतजार में लटक जाते हैं। याद रहे कि दोनों ही एजेंसियों में स्टाफ की कमी पर सुप्रीम कोर्ट भी कई बार फटकार लगा चुकी है।
कार्यप्रणाली और पारदर्शिता हो रही प्रभावित

बोर्ड बैठक नहीं होने से इनकी कार्यप्रणाली की पारदर्शिता भी प्रभावित हो रही है। दरअसल, डीपीसीसी के 16 जबकि सीपीसीबी के 17 सदस्यीय बोर्ड में तीन तीन विशेषज्ञ भी हैं। इन्हें रखने का मकसद यही है कि अधिकारी मनमानी न कर सकें और प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए जाने वाले कदमों में विशेषज्ञों का अनुभव भी शामिल हो सके।

लेकिन बोर्ड बैठक के अभाव में न तो उन्हें अपनी बात कहने का मौका मिलता है और न एजेंसियां ही उनकी विशेषज्ञता का कोई लाभ उठा पा रही हैं। ज्ञात हो कि आप सरकार के कार्यकाल में स्माग टावर लगाने, सुपरसाइट स्थापित करने, सोर्स अपार्शन्मेंट स्टडी शुरू करने और क्लाउड सीडिंग जैसे विभिन्न निर्णय बोर्ड बैठक में रखे ही नहीं गए थे।

नतीजा, चारों पर विवाद हुआ, करोड़ों रूपये खर्च करने के बाद भी उनके सकारात्मक नतीजे नहीं निकले और अंतत: इनसे हाथ पीछे ही खींचने पड़े।

दिलचस्प यह भी कि दिल्ली सरकार जहां प्रदूषण से जंग में विभिन्न कदम उठा रही है। वहीं सीएक्यूएम भी ग्रेप के चारों चरण लगाकर अक्सर समीक्षा बैठकें कर रहा है। इस सबके बीच डीपीसीसी और सीपीसीबी न पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क का इस्तेमाल कर पा रही हैं और न अपनी बोर्ड बैठकें तक समय पर बुला पा रही हैं।







सीपीसीबी और डीपीसीसी की बोर्ड बैठकें समय पर नहीं होना गंभीर मसला तो है ही। पूर्व में भी कई बार ऐसा होता रहा है जबकि होना नहीं चाहिए। प्रदूषण से जंग में हीलाहवाली कतई नहीं होनी चाहिए। वो भी सर्दियों के इस मौसम में। उम्मीद है कि जल्द ही दोनों एजेंसियां बोर्ड बैठक बुलाएंगी और प्रदूषण के गंभीर मुद्दे पर सकारात्मक चर्चा करेगी।
-

डॉ. अनिल गुप्ता, सदस्य, सीपीसीबी एवं डीपीसीसी
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments
deltin33

He hasn't introduced himself yet.

1210K

Threads

0

Posts

3810K

Credits

administrator

Credits
386765

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com, Of particular note is that we've prepared 100 free Lucky Slots games for new users, giving you the opportunity to experience the thrill of the slot machine world and feel a certain level of risk. Click on the content at the top of the forum to play these free slot games; they're simple and easy to learn, ensuring you can quickly get started and fully enjoy the fun. We also have a free roulette wheel with a value of 200 for inviting friends.