ठंड में सरसों के तेल का करें सही इस्तेमाल
राधा कृष्ण, पटना। सर्दियों का मौसम आते ही ठंड, रूखापन, जोड़ों का दर्द और सर्दी-खांसी जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। ऐसे में अगर दिनचर्या में कुछ पारंपरिक और प्राकृतिक उपाय शामिल कर लिए जाएं, तो न सिर्फ ठंड से बचाव होता है बल्कि शरीर भी निरोग रहता है। भारतीय रसोई और आयुर्वेद में सदियों से इस्तेमाल होता आ रहा सरसों का तेल ठंड के मौसम में किसी वरदान से कम नहीं है। यह शरीर को अंदर से गर्म रखने के साथ-साथ त्वचा, मांसपेशियों और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विशेषज्ञों के अनुसार, सरसों के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं। यही कारण है कि सर्दियों में इसका बाहरी और आंतरिक दोनों तरह से उपयोग लाभकारी माना जाता है। खास बात यह है कि सही तरीके और सही जगह पर तेल लगाने से इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं।
सिर में सरसों का तेल लगाने के फायदे
सर्दियों में सिर की त्वचा रूखी हो जाती है, जिससे डैंड्रफ और बाल झड़ने की समस्या बढ़ती है। सप्ताह में दो से तीन बार गुनगुना सरसों का तेल सिर में लगाने से रक्त संचार बेहतर होता है।
इससे बालों की जड़ें मजबूत होती हैं और सिरदर्द व तनाव में भी राहत मिलती है। ठंड के कारण होने वाला माइग्रेन या भारीपन भी तेल मालिश से कम हो सकता है।
कान में तेल डालने से क्या लाभ
आयुर्वेद में सर्दियों में कान में हल्का गुनगुना सरसों का तेल डालने की परंपरा रही है। इससे कान में जमा सूखापन दूर होता है और ठंडी हवा से होने वाले कान दर्द से बचाव होता है।
साथ ही, यह सर्दी-जुकाम के कारण होने वाली परेशानी में भी राहत देता है। हालांकि, कान में तेल डालने से पहले स्वच्छता और सावधानी जरूरी है।
नाक में तेल लगाने के फायदे
ठंड में नाक का सूखना और बार-बार सर्दी लगना आम समस्या है। नाक के अंदर हल्की मात्रा में सरसों का तेल लगाने से नमी बनी रहती है और ठंडी हवा का सीधा असर कम होता है। यह उपाय साइनस और एलर्जी की समस्या में भी सहायक माना जाता है।
पैरों में तेल लगाने से कैसे मिलेगी राहत
सर्दियों में एड़ियां फटना और पैरों में ठंड लगना आम बात है। रात में सोने से पहले पैरों में सरसों के तेल से मालिश करने से त्वचा मुलायम रहती है और फटी एड़ियों की समस्या कम होती है। साथ ही पैरों की नसों में गर्माहट पहुंचती है, जिससे नींद भी बेहतर आती है।
जोड़ों और मांसपेशियों पर तेल का असर
बुजुर्गों और गठिया से पीड़ित लोगों के लिए सरसों का तेल बेहद फायदेमंद है। घुटनों, कमर, कंधों और गर्दन पर गुनगुने तेल से मालिश करने से जकड़न और दर्द में राहत मिलती है। सरसों के तेल में लहसुन मिलाकर मालिश करने से इसका असर और भी बढ़ जाता है।
छाती और पीठ पर तेल लगाने के फायदे
सर्दी-खांसी और जुकाम के दौरान छाती और पीठ पर सरसों के तेल से मालिश करने से बलगम ढीला होता है और सांस लेने में राहत मिलती है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह उपाय खास तौर पर उपयोगी माना जाता है।
भोजन में सरसों का तेल क्यों जरूरी
सर्दियों में सीमित मात्रा में सरसों के तेल का सेवन पाचन को दुरुस्त रखता है और शरीर को अंदर से गर्म बनाए रखता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है। हालांकि, अधिक मात्रा में सेवन से बचना चाहिए।
सावधानी भी जरूरी
हालांकि सरसों का तेल प्राकृतिक और लाभकारी है, लेकिन इसका इस्तेमाल संतुलित और सही तरीके से करना जरूरी है। त्वचा पर एलर्जी होने की स्थिति में पहले पैच टेस्ट कर लें। गंभीर बीमारी या बच्चों के लिए उपयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना बेहतर होता है।
कुल मिलाकर, सर्दियों में सरसों के तेल का सही और नियमित उपयोग शरीर को गर्म, स्वस्थ और निरोग बनाए रखने में अहम भूमिका निभा सकता है। यह न केवल ठंड से बचाव करता है, बल्कि पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक जरूरतों का बेहतरीन मेल भी है। |