मुख्यमंत्री के पद के लिए तेजस्वी यादव के नाम पर नहीं कोई संशय। फाइल फोटो  
 
  
 
  
 
राज्य ब्यूरो, पटना। महागठबंधन में सीटों के बंटवारे की गुत्थी लगभग सुलझ गई है। मुख्यमंत्री के पद के लिए तेजस्वी यादव के नाम पर भी कोई संशय नहीं रह गया है। सभी घटक दल सहमत हो गए हैं।  
 
मात्र आधा दर्जन सीटों को लेकर कांग्रेस और राजद अभी एकमत नहीं। उसका भी समाधान बुधवार को होने वाली बैठक में निकाल लिया जाएगा। उसके एक-दो दिन के भीतर सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी।  
 
उसी दौरान मुख्यमंत्री के चेहरे पर सभी घटक दल सार्वजनिक रूप से एक सुर होंगे। रविवार को हुई महागठबंधन की समन्वय समिति की बैठक में यही सहमति बनी है।  
 
  
 
साझा घोषणा-पत्र चुनावी अधिसूचना जारी होने के बाद ही सार्वजनिक किया जाएगा, ताकि महागठबंधन के वादों को प्रतिद्वंद्वी हथिया न लें।  
 
तेजस्वी यादव की अध्यक्षता में लगभग तीन घंटे तक समन्वय समिति के सदस्यों ने गहन मंत्रणा की। सीट बंटवारे के साथ प्रत्याशियों को लेकर विचार-विमर्श हुआ। पहले लगभग दो दर्जन सीटों को लेकर पेच फंस रहा था, जो अब आधा दर्जन तक सिमट आया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
बैठक में यह सहमति बनी कि पिछली बार जीती हुई और नंबर दो की हैसियत वाली सीटें उसी दल के पास रहेगी। उसमें से दो-तीन सीटों पर ही फेरबदल होगा।  
 
  
 
बैठक में राजद की ओर से सांसद संजय यादव, प्रदेश महासचिव रणविजय साहू, पूर्व मंत्री आलोक मेहता, कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ,वीआईपी नेता मुकेश सहनी, माले के राज्य सचिव कुणाल, भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय, माकपा के राज्य सचिव ललन चौधरी और विधायक अजय कुमार आदि उपस्थित रहे।  
इस तरह बंट सकती हैं सीटें  
 
विधानसभा और लोकसभा चुनाव की स्ट्राइक रेट के साथ क्षेत्रीय समीकरण के आधार पर सीटों का बंटवारा हो रहा है। कांग्रेस को 55 से 58, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को 18 से 20 और वाम दलों को 35 से 38 सीटें मिल सकती हैं।  
 
  
 
इसके अलावा, पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) को तीन और दो-तीन सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को सीटें मिल सकती हैं। बची 130 सीटें राजद के खाते में आएंगी।  
 
पिछली बार राजद 144 सीटों पर मैदान में था। कांग्रेस 70 और वामदलों के प्रत्याशी 31 सीटों पर थे। वीआईपी तब एनडीए में थी और लोजपा अकेले बूते मैदान में, जो बाद में दो फाड़ हुई। उसके एक धड़े का नेतृत्व पारस कर रहे।  
 
  
 
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