साकची का एक बार, जहां सफाई और सुरक्षा की खमियां दिखी।
जासं, जमशेदपुर। गोवा के एक नाइट क्लब में 6 नवंबर को हुई भीषण आगजनी में 25 लोगों की मौत और कई घायल होने के बाद देशभर में फायर सेफ्टी को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी हो गई हैं। इसी के मद्देनजर दैनिक जागरण ने जमशेदपुर में संचालित बार और रेस्टोरेंट की सुरक्षा व्यवस्था की पड़ताल की। जांच में सामने आया कि शहर के कुल 6 क्लब और 61 बार-रेस्टोरेंट में से अधिकांश फायर सेफ्टी के मानकों पर खरे नहीं उतरते। कई प्रतिष्ठान बेसमेंट में संचालित हो रहे हैं, जबकि कई जगहों पर आपातकालीन निकास मार्ग तक उपलब्ध नहीं है। स्थिति इतनी लापरवाह है कि शहर के अधिकांश बार संचालकों को फायर सेफ्टी ऑडिट की अनिवार्यता तक की जानकारी नहीं है। यदि जिला प्रशासन ने इस गंभीर अव्यवस्था पर समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो भविष्य में बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।
क्या होता है फायर सेफ्टी ऑडिट?
जहां भी वाणिज्यिक गतिविधियां होती हैं और लोगों का नियमित आना-जाना होता है, वहां फायर सेफ्टी ऑडिट कराना अनिवार्य है। इस ऑडिट में प्रतिष्ठान की संरचना, अग्निशमन उपकरण, आपातकालीन मार्ग, गैस कनेक्शन, वेंटिलेशन व्यवस्था समेत सभी पहलुओं की जांच की जाती है। इसके बाद जारी प्रमाणपत्र को प्रतिष्ठान के मुख्य स्थान पर प्रदर्शित करना होता है।
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प्यासा बार एंड रेस्टोरेंट, साकची कालीमाटी रोड बेसमेंट में संचालित इस बार में 9 टेबल पर 36 लोगों की क्षमता है। पड़ताल के दौरान रेस्टोरेंट और किचन, दोनों जगह एक भी अग्निशमन यंत्र नहीं मिला। संचालक हर्षित कुमार का कहना है कि उनके पास दो फायर टैंक दूसरे संस्थान में हैं। उन्होंने फायर सेफ्टी ऑडिट सर्टिफिकेट बाद में दिखाने की बात कही।
डे एंड नाइट बार, कालीमाटी रोड दो मंजिलों में फैले इस बार में कुल 68 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। निचले तल में वेंटिलेशन की कोई व्यवस्था नहीं मिली। सजावट में लकड़ी और रेक्सीन का उपयोग किया गया है। इससे आग तेजी से फैलने की आशंका रहती है। यहां मौजूद अग्निशमन यंत्र एक्सपायर पाए गए। संचालक हरजिंदर सिंह ने स्वीकार किया कि उनके पास फायर सेफ्टी ऑडिट नहीं है।
यशस्वी रेस्ट्रो बार, साकची
यह भी बेसमेंट में संचालित है और एक ही संकरे दरवाजे से ही प्रवेश-निकास होता है। मालिक रत्नेश तिवारी ने अग्निशमन यंत्र के कागजात तो दिखाए, लेकिन फायर सेफ्टी ऑडिट सर्टिफिकेट उपलब्ध नहीं करा पाए।
सागर बार एंड रेस्टोरेंट, बसंत टाकीज रोड 24 टेबल पर 96 लोगों की क्षमता वाले इस प्रतिष्ठान में रेक्सीन के सोफे लगे हैं, जो आग लगने पर बड़े खतरे का कारण बन सकते हैं। यहां दो सिलेंडरनुमा अग्निशमन यंत्र मिले, जिनकी वैधता 2015 में ही समाप्त हो चुकी थी। संचालक दलबीर सिंह ने बताया कि उन्हें फायर सेफ्टी ऑडिट के बारे में जानकारी ही नहीं है। इससे सुुरक्षा को लेकर बरती जा रही लापरवाही का पता चलता है।
ट्राइंगलर बार एंड रेस्टोरेंट, बसंत टाकीज के पीछे, साकची दूसरी मंजिल पर संचालित इस बार में 70 लोगों की क्षमता है। आने-जाने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है। सबसे गंभीर बात यहां एक भी अग्निशमन यंत्र मौजूद नहीं था। मैनेजर बंटी सिंह ने स्वीकार किया कि उन्हें फायर सेफ्टी ऑडिट की जानकारी नहीं है लेकिन जल्द करवाने की बात कही। यहां भी सुरक्षा को लेकर गंभीरता नहीं दिखी।
मान सूर्या बार, साकची बेसमेंट में स्थित इस बार के संचालक शशांक वाजपेयी ने दावा किया कि उन्हें बेसमेंट में संचालन का लाइसेंस मिल चुका है। 18 टेबल और 60 लोगों की क्षमता वाले इस प्रतिष्ठान में 2020 से एक्सपायर फायर यंत्र पाए गए। वहीं किचन में घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग देखा गया, जो नियमानुसार प्रतिबंधित है। ऊपर स्थित होटल में 40 कमरे हैं, लेकिन वहां भी सेफ्टी व्यवस्था अधूरी है।
ट्रैक्स बार एंड रेस्टोरेंट, रामलीला मैदान के सामने
पहली और दूसरी मंजिल पर संचालित इस बड़े प्रतिष्ठान में लगभग 200 लोगों के बैठने की क्षमता है। मार्केटिंग हेड राकेश कुमार ने बताया कि उनके पास फायर उपकरण तो हैं, लेकिन इमरजेंसी एग्जिट नहीं है। साथ ही पूरे प्रतिष्ठान का फायर सेफ्टी ऑडिट भी नहीं कराया गया है।
शहर में जितने भी बार एंड रेस्टोरेंट हैं उन्हें न सिर्फ फायर सेफ्टी लाइसेंस लेना है बल्कि बैठने की क्षमता के अनुरूप अपने संस्थान में फायर सेफ्टी एडवाइजरी के तहत अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था भी करना है लेकिन अधिकतर प्रतिष्ठानों ने सेफ्टी आडिट नहीं कराया है। -
सुरेंद्र प्रसाद, फायर स्टेशन आफिसर |