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मदरसा विवाद: तीन गवाहों के बयानों पर प्रधानाचार्या, सेल प्रभारी आरोपित; एक माह के भीतर चार्जशीट दाखिल

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प्रतीकात्‍मक च‍ित्र



जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। मदरसा की छात्रा से वजिर्निटी सर्टिफिकेट मांगने वाली प्रधानाचार्या रहनुमा को बाहर से ही जमानत दे दी गई है। पुलिस ने शुक्रवार को प्रधानाचार्या के घर सहारनपुर पहुंचकर नोटिस तामील कराया। इसके अलावा प्राथमिकी दर्ज करने के तुरंत बाद जेल भेजे गए एडमिशन सेल प्रभारी मुहम्मद शाहजहां जमानत के बाद जेल से बाहर आ गया है। उधर, पुलिस ने इस मामले में एक माह के अंदर ही चार्जशीट दाखिल कर दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मामले में तीन गवाह बनाते हुए प्रधानाचार्या और एडमिशन सेल प्रभारी आरोपित बनाया गया है। प्राथमिकी में अपमानित करना, धमकी देना और पाक्सो एक्ट की धाराएं लगाई थी। पाकबड़ा क्षेत्र स्थित मदरसा जामिया एहसान-उल-बनात का है। चंडीगढ़ के मनीमाजरा क्षेत्र निवासी एक छात्रा के पिता ने मदरसे की प्रधानाचार्य रहनुमा, एडमिशन सेल प्रभारी मोहम्मद शाहजहां और अन्य स्टाफ के खिलाफ 24 अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज की थी।

शिकायत के अनुसार, वर्ष 2024 में उन्होंने अपनी बेटी का दाखिला कक्षा सात में कराया था। छात्रा सातवीं कक्षा पास कर चुकी थी और इस वर्ष आठवीं में प्रवेश लिया जाना था। 16 जुलाई को वह बेटी को चंडीगढ़ ले गए थे और 21 अगस्त को पत्नी बेटी के साथ मदरसे पहुंचीं। प्रवेश प्रक्रिया के दौरान प्रधानाचार्य रहनुमा और मोहम्मद शाहजहां ने पहले 35 हजार रुपये फीस के रूप में जमा कराए। इसके बाद दोनों ने छात्रा से वर्जिनिटी सर्टिफिकेट की मांग की।

जब पिता ने मेडिकल रिपोर्ट देने से इन्कार किया तो स्टाफ ने उनके साथ अभद्रता की और धक्के देकर मदरसे से बाहर निकाल दिया। पुलिस ने एडमिशन सेल प्रभारी मोहम्मद शाहजहां, जो बिहार के पूर्णिया जिले के रानी पत्रा थाना क्षेत्र के पुरखरिया निवासी हैं, को 24 अक्टूबर को ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। प्रधानाचार्या रहनुमा प्राथमिकी दर्ज होने के बाद फरार हो गई थी। प्रधानाचार्या उसी दिन एक बच्चे को जन्म दिया था। पुलिस के अनुसार दर्ज प्राथमिकी में सभी सात साल से कम सजा वाली धाराएं थी।

ऐसे में विवेचक संजय कुमार शनिवार को प्रधानाचार्या के घर सहारनपुर पहुंचे। नोटिस देकर तामील कराया और बाहर से ही जमानत दे दी। इसके बाद रविवार को मामले की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी। विवेचक ने साक्ष्य के रूप में छात्रा, उसके पिता और मां के बयान लिए है। इसके अलावा पुलिस को कोई साक्ष्य दोनों आरोपितों के खिलाफ नहीं मिला। पुलिस ने तीनों की गवाही के आधार पर प्रधानाचार्या और एडमिशन सेल प्रभारी को आरोपित बनाया। थानाध्यक्ष योगेश कुमार ने बताया कि मामले की चार्जशीट दाखिल कर दी गई है।
एसआइटी को मिल चुके हैं विदेशी फंडिंग के क्लू

प्रकरण में डीएम की ओर से गठित एसआइटी मदरसे में विदेशी फंडिंग की जांच कर रही है। एडीएम प्रशासन संगीता गौतम, एसपी सिटी कुमार रणविजय सिंह और मुख्य कोषाधिकारी रेनू बौद्ध की संयुक्त टीम जांच कर रही है। बीते दिनों मदरसा प्रबंधन की ओर से दिये गए प्रपत्रों के बाद जांच आगे बढ़ी तो विदेशी फंडिंग के क्लू मिलने की बात सामने आई। संबंधित खातों के लेन-देन के पूरे विस्तृत ब्यौरे के लिए एलडीएम के नेतृत्व में टीम गठित की गई है और रिपोर्ट तलब की गई है। अब देखना है कि जांच कब पूरी होती है और क्या रिपोर्ट पेश की जाती है।
किस धाराओं में कितनी सजा

  • धारा 79 : तीन साल तक की साधारण कैद और जुर्माना है। यह अपराध उन लोगों के लिए है जो किसी महिला की शील या गरिमा का अपमान करने के इरादे से शब्दों, हाव-भाव, इशारों या किसी भी हरकत या वस्तु का इस्तेमाल करते हैं।
  • धारा 351(2) : आपराधिक धमकी देने के अपराध में दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों का प्रव‍िधान है।
  • धारा 352 : यदि कोई व्यक्ति शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करता है, तो उसे दो साल तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है।
  • धारा 316(2) : सामान्य आपराधिक विश्वासघात के लिए पांच वर्ष तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों की सजा है।
  • 11/12 पाक्सो अधिनियम : में अधिकतम तीन साल तक की कैद और जुर्माना की सजा का प्रव‍िधान है।


  

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