रिश्वत मामले में आईआरटीएस अफसर समेत सभी आरोपी बरी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राउज एवेन्यू स्थित विशेष सीबीआई अदालत ने रिश्वतखोरी से जुड़े एक मामले में आईआरटीएस अधिकारी रवि मोहन शर्मा समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
विशेष न्यायाधीश सुधांशु कौशिक ने मामले की सुनवाई के बाद कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से परे साबित करने में असफल रहा।
अदालत ने फोन काॅल इंटरसेप्शन, बरामदगी और ट्रैप की प्रक्रिया समेत सभी साक्ष्यों को अपर्याप्त मानते हुए आरोपियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 और आईपीसी की धाराओं से बरी कर दिया।
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि वर्ष 1997 बैच के आईआरटीएस अधिकारी व तत्कालीन निदेशक (ट्रैफिक ट्रांसपोर्टेशन) रवि मोहन शर्मा ने रेलवे कोच किराये पर उपलब्ध कराने में मदद के एवज में पांच लाख रपये रिश्वत ली थी।
यह रिश्वत टूर ऑपरेटर कंपनी एमएस रेल टूर इंडिया एलएलपी और उसके साझेदार राजेश चंपकलाल जोधानी व कुमार वदीलाल शाह से ली गई बताई गई थी।
सीबीआई का आरोप था कि रिश्वत की राशि हवाला चैनल से लाई गई थी। सीबीआई ने अदालत को बताया कि 22 अक्टूबर, 2014 को रवि मोहन शर्मा के दिल्ली आवास पर जाल बिछाकर उन्हें रंगे हाथ पकड़ा गया।
रिश्वतखोरी मामले में आरोपी को मिली जमानत
राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत ने रिश्वतखोरी मामले में गिरफ्तार आरोपी विनीत कुमार उर्फ बिट्टू को 50 हजार के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की एक जमानती पर नियमित जमानत दे दी।new-delhi-city-crime,dwarka,Dwarka robbery,Delhi crime,cab driver robbery,gang arrested,Dwarka South,pistol robbery,girlfriend involved,stolen cars recovered,Aladdin gang leader,Delhi police,Delhi news विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विशेष न्यायाधीश एमपी सिंह ने कहा कि अभियोजन पक्ष की जांच में उसकी जेल में निरंतर कैद से कोई उपयोगी मदद नहीं मिलेगी।
मामला 30 अगस्त को दर्ज सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़ा है। शिकायतकर्ता प्रदीप बौद्ध ने आरोप लगाया था कि पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कॉमर्शियल सुपरवाइजर अंकित बठला हर पार्सल पर 10 रुपये की रिश्वत मांगता था।
30 अगस्त को सीबीआई ने ट्रैप बिछाया और बठला के कहने पर रिश्वत की रकम 8500 रुपये लेते हुए आरोपित विनीत कुमार को पकड़ लिया गया।
सीबीआई ने अदालत में जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपित ने लोकसेवक के लिए रिश्वत ली और अगर रिहा हुआ तो गवाहों को प्रभावित कर सकता है।
वहीं बचाव पक्ष ने दलील दी कि सभी दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस पहले ही जब्त हो चुके हैं, आरोपी का पासपोर्ट नहीं है, वह परिवार का इकलौता कमाने वाला है और अब तक जांच में सहयोग करता रहा है।
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