उपभोक्ता फोरम ने हार्ट अटैक के इलाज का दावा खारिज करने को अवैध और मनमाना ठहराया है।
जागरण संवाददाता, पंचकूला। उपभोक्ता फोरम ने एक निर्णय देते हुए रेलिगेयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी द्वारा हार्ट अटैक के इलाज का दावा खारिज करने को अवैध और मनमाना ठहराया है। फोरम ने कहा कि बीमा कंपनी बिना किसी विशेषज्ञ मेडिकल राय के यह नहीं कह सकती कि हार्ट अटैक डायबिटीज की जटिलता के कारण हुआ। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
फोरम ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह शिकायतकर्ता को पूरा अस्पताल खर्च 4,99,531 रुपये 6.5% वार्षिक ब्याज सहित अदा करे। साथ ही 20,000 रुपये मानसिक पीड़ा और 5,500 रुपये मुकदमा खर्च के रूप में देने का निर्देश दिया गया है।
सेक्टर-4 एमडीसी में रहने वाले 61 वर्षीय नारिंदर कुमार बंसल ने फोरम में केस दायर किया था। बंसल ने 4 जनवरी 2018 को रेलिगेयर हेल्थ इंश्योरेंस की केयर (इंडिविजुअल) पालिसी ली थी और पालिसी लेते समय उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया था कि वह 2014 से डायबिटीज के मरीज हैं। सभी मेडिकल जांचें बीमा कंपनी ने स्वयं करवाई थीं और पालिसी हर वर्ष नियमित रूप से नवीनीकृत भी होती रही।
10 दिसंबर 2019 को बंसल को अचानक तीव्र सीने में दर्द, पसीना और उलझन महसूस हुई, जिसके बाद उन्हें तुरंत मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया। 11 दिसंबर को एंजियोग्राफी के दौरान आरसीए में ब्लाकेज मिला और उसी समय उनका स्टेंट डाला गया।
अस्पताल ने नियम अनुसार बीमा कंपनी को कैशलेस के लिए अनुरोध भेजा, पर बीमा कंपनी ने उसी दिन दावा यह कहते हुए ठुकरा दिया कि शिकायतकर्ता डायबिटिक हैं और हार्ट अटैक प्री-एग्जिस्टिंग बीमारी की जटिलता है, जिस पर 4 वर्ष का वेटिंग पीरियड लागू होता है।
बीमा कंपनी का तर्क था कि डायबिटीज 6–7 साल पुरानी है और कोरोनरी आर्टरी डिजीज डायबिटीज से संबंधित हो सकती है, इसलिए दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता। लेकिन फोरम ने इस तर्क को पूरी तरह खारिज कर दिया।
हाई अटैक के कई कारण हो सकते
फोरम ने कहा कि यह बीमा कंपनी की जिम्मेदारी थी कि वह साबित करे कि हार्ट अटैक सीधा डायबिटीज की जटिलता है। लेकिन कंपनी कोई भी विशेषज्ञ मेडिकल रिपोर्ट, कार्डियोलाजिस्ट की राय या कोई वैज्ञानिक प्रमाण पेश नहीं कर सकी।
फोरम ने कहा कि हार्ट अटैक एक बहु-कारक मेडिकल आपात स्थिति है, जिसका कारण केवल डायबिटीज नहीं हो सकता। उम्र, तनाव, उच्च रक्तचाप, परिवारिक इतिहास, जीवनशैली ये सभी प्रमुख कारण हैं।
कंपनी ने मेडिकल टेस्ट के बाद पाॅलिसी जारी की थी
फोरम ने अपने आदेश में कहा कि बीमा कंपनी ने सिर्फ अनुमान के आधार पर दावा खारिज किया, जो उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है। शिकायतकर्ता ने अपनी बीमारी सही तरीके से बताई थी और कंपनी ने मेडिकल टेस्ट के बाद पाॅलिसी जारी की थी, इसलिए अब बीमारी को बहाना बनाकर दावा टालना अनुचित है।
दूसरी ओर, फोर्टिस अस्पताल के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ और उसकी भूमिका मात्र उपचार देना तथा बीमा को कैशलेस अनुरोध भेजना थी। इसलिए उसे मामले से मुक्त कर दिया गया। |