बरामदे में पढ़ रहे बच्च
जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। औरंगाबाद जिले की शिक्षा व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। भले ही सरकारी एवं विभागीय स्तर पर सुधार करने की बात कही जा रही हो परंतु धरातल पर हकीकत कुछ और ही दिख रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण रफीगंज प्रखंड के मध्य विघालय सइरा है। विद्यालय की स्थिति काफी गंभीर है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विद्यालय में इंफ्रास्ट्रक्चर का काफी अभाव है। विद्यालय में कमरों का घोर अभाव है। चार कमरों में वर्ग एक से आठ तक के बच्चों की पढ़ाई होती है। विद्यालय में कमरों के अभााव के कारण शिक्षा व्यवस्था काफी प्रभावित हो रही है।
छात्र-छात्राओं की संख्या करीब 300
शिक्षक की उपस्थिति के बावजूद छात्रों को गुणवतापूर्ण शिक्षा नही मिल पा रही है जिसका मुख्य कारण है विद्यालयों मे कमरों की कमी। विद्यालय में नामांकत छात्र-छात्राओं की संख्या करीब 300 है। विद्यालय में कुल पदस्थापित शिक्षक 12 हैं।
प्रतिदिन 250 से लेकर 270 छात्र पढ़ाई करने पहुंचते हैं। इन चार कमरों मे दो कमरा जर्जर है जिसके कारण बरसात के दिनों मे शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। बरामदे से बैठे छात्रों को भी बरसात एवं ठंड के दिनों मे काफी परेशानियां झेलनी पड़ती है।
ऐसे मे यह सोचा जा सकता है कि शिक्षकों की मेहनत के बावजूद बच्चे कितनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। परीक्षाफल अंक कम आने पर जिसकी भी जवाबदेही शिक्षक भी होते है।
शौचालय के बावजूद फिर शौचालय का निर्माण
शिक्षकों ने बताया कि दो शौचालय पूर्व से बना सही था उसके बावजूद भी पुनः फिर शौचालय का निर्माण हो रहा है । जब की कमरों का निर्माण आवश्यक था। ग्रामीण बताते है कि अधिकारी भी जांच करने आते है और जाकर भूल जाते है। वैसे स्तिथि मे शिक्षण कार्य प्रभावित होता है।
प्रधानाध्यापक उचित कुमार ने बताया कि कमरों की घोर कमी है । शिक्षक चाह कर भी छात्रों को गुणवतापूर्ण शिक्षा नहीं दे पा रहे है। यही कारण है कि छात्रों की संख्या बढ़ रही है परंतु कमरों की संख्या घट रही है। शिक्षक तो प्रयासरत हैं।
छात्रों की उपस्थिति शत प्रतिशत रहे जिसके लिए शिक्षक अभिभावक संगोष्ठी के साथ घर घर जाकर आने को प्रेरित कर रहे है । शिक्षा विभाग को इस संबंध में जानकारी दी गई है।
वर्तमान समय तक परिणाम शून्य है। इस संबंध में जानकारी के लिए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से बात करने का काफी प्रयास किया गया परंतु बात नही हो सकी । |
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