प्रशांत किशोर और मायावती। PTI
शशिभूषण कुमार, मोतिहारी। पूर्वी चंपारण जिले की 12 विधानसभा सीटों पर इस बार चली एनडीए की बयार में बड़े-बड़े दावा करने वाले प्रत्याशी भी मतदाताओं की कसौटी पर फेल हो गए। जिले के 12 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 95 प्रत्याशी मैदान में थे, जिसमें से एकमात्र चिरैया विधानसभा से स्वतंत्र प्रत्याशी अच्छेलाल प्रसाद अपनी जमानत बचाने में सफल रहे। लगभग 70 प्रत्याशी जनता की अदालत में चारों खाने चित हो गए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
चुनाव में जन सुराज पार्टी, बसपा जैसे दलों ने जिले की जिन-जिन सीटों पर चुनाव लड़ा उनकी जमानत जब्त हो गई है। जिले में कई सीटों पर प्रत्याशियों को नोटा से भी कम मत मिले हैं।
बता दें कि जिले के चिरैया विधानसभा से बीते चुनाव में अच्छेलाल प्रसाद राजद के टिकट पर चुनाव हारने के साथ दूसरे नंबर पर रहे। हालांकि, इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट लक्ष्मी नारायण प्रसाद यादव को प्रत्याशी बना दिया।
वहीं, बेटिकट होने पर अच्छेलाल प्रसाद बागी बन गए और स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर 34874 मत प्राप्त किए। चिरैया में कुल एक लाख 98 हजार 790 मतदाताओं ने मतदान किया, जिसमें एक लाख 95 हजार 944 वैध मत पड़े। अच्छेलाल ने जमानत राशि बचाने के लिए 32658 से 2216 मत अधिक प्राप्त किया है।
विधानसभा वार जमानत जब्त प्रत्याशियों के आंकड़े
पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल विधानसभा में तीन, सुगौली विधानसभा में तीन, नरकटिया विधानसभा में चार, हरसिद्धि सुरक्षित विधानसभा में चार, गोविंदगंज विधानसभा में छह, केसरिया विधानसभा में आठ, कल्याणपुर विधानसभा में नौ, पीपरा विधानसभा में नौ, मधुबन विधानसभा में छह, मोतिहारी विधानसभा में सात, चिरैया विधानसभा में तीन और ढाका विधानसभा में आठ सहित कुल 70 प्रत्याशियों की जमानत इस बार के विधानसभा में जब्त हो गई।
45 प्रत्याशियों को नोटा से भी कम मिले मत
जिले के 12 विधानसभा में नोटा को कुल 40097 मत मिले। यहां 12 विधानसभा में 45 प्रत्याशी ऐसे रहे जिन्हें नोटा से भी कम मत मिले है। सबसे अधिक नोटा नरकटिया विधानसभा में 5425 तो सुगौली में 5227 मत पड़े है।
जिले के रक्सौल विधानसभा में दो प्रत्याशियों को, हरसिद्धि में तीन, कल्याणपुर में सात, मोतिहारी में छह, चिरैया में एक, पीपरा में पांच, गोविंदगंज में तीन, सुगौली में एक, नरकटिया में तीन, केसरिया में पांच, मधुबन में तीन व ढाका में छह प्रत्याशियों को नोटा से भी कम वोट मिले है। |