यमुना नदी में फैली झाग। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। यमुना नदी में प्रदूषण का बड़ा कारण इसमें गिरने वाले नाले हैं। दिल्ली सहित पड़ोसी राज्यों से आने वाले नाले यमुना में मिल रहे हैं। दिल्ली जल बोर्ड ने नालों से गिरने वाली गंदगी का पता लगाने के लिए सर्वे कराने का निर्णय लिया है, जिससे कि समस्या का समाधान किया जा सके। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
नालों पर फ्लो मीटर भी लगाने की तैयारी है। दिल्ली के करीब 22 किलोमीटर शहरी हिस्से में यमुना सबसे अधिक प्रदूषित है। इसे साफ करने के लिए इसमें गिरने वाले नालों के गंदे पानी को रोकना होगा। इसे ध्यान में रखकर यमुना में गिरने वाले 75 नालों का अध्ययन करने का निर्णय लिया गया है।
इन नालों पर फ्लो मीटर लगाकर यह पता लगाया जाएगा कि प्रतिदिन कितना गंदा पानी यमुना में गिर रहा है। इसके लिए निविदा जारी कर दी गई है। इसमें नजफगढ़, शाहदरा सहित कई यमुना को अधिक प्रदूषित करने वाले अन्य नालों को शामिल किया गया है। नजफगढ़ सहित कई नाले पड़ोसी राज्यों से दिल्ली पहुंचता है। इनके माध्यम से पड़ोसी राज्यों के शहरों की गंदगी यमुना में गिर रही है।
मंगेशपुर नाला, बुपनिया चुडानिया नाला, नरेला सीमा के पास नाला संख्या 6, अलीपुर लिंक नाला सहित हरियाणा से दिल्ली में आने वाले 13 नालों का भी अध्ययन किया जाएगा। इन नालों के माध्यम से शहरों की गंदगी के साथ औद्योगिक इकाइयों का अवशिष्ट भी नदी में पहुंच रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर आवश्यकतानुसार सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) और विकेंद्रीकृत सीवेज उपचार संयंत्र (डीएसटीपी) बनाने का निर्णय लिया जाएगा। अभी नजफगढ़ नाले में गिरने वाले छोटे नालों पर 27 डीएसटीपी लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। |