पूर्व विधायक सोमप्रकाश सिंह। (फोटो- इंटरनेट)
जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। ओबरा के थानाध्यक्ष रहे सोमप्रकाश सिंह वर्ष 2010 में इस्तीफा देर चुनाव लड़ा और विधायक बन गए। पांच वर्ष विधायक रहे। थानाध्यक्ष रहते जनता के बीच लोकप्रिय सोमप्रकाश विधायक बनते ही अपनी लोकप्रियता खो दिए।
ओबरा की जनता से संबंध तोड़ लिया। उन्हें लगा कि मैं जनहित में काम कर रहा हूं परंतु जनता उनके कार्यों से आक्रोशित थी।
सोमप्रकाश ने इस दौरान अपनी पार्टी बनाई और उसका नाम स्वराज पार्टी लोकतांत्रिक रखा। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में ओबरा से मैदान में आए तो जनता ने नकार दिया।
विधायक रहे सोमप्रकाश को 10,114 मत मिले। वे मतों के मामले में चौथे स्थान पर रहे। राजद के वीरेंद्र कुमार सिन्हा विधायक बने।
वर्ष 2020 में एक बार फिर सोमप्रकाश ओबरा से चुनाव लड़े परंतु इस बार जनता ने उन्हें पूरी तरह खारिज कर दिया। इस चुनाव में मात्र चार प्रतिशत मत आए। कुल 7,035 मत मिले। मतों के मामले में छठे स्थान पर रहे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लगातार हारने के बावजूद ओबरा से जुड़े रहे। कई बार आंदोलन किया। जनता के सुखदुख में जाते रहे परंतु अपनी छाप बरकरार नहीं रख सके।
ओबरा के एक व्यवसायी को जेल भेज सुर्खियों में आए सोमप्रकाश इस बार चुनाव लड़े तो न सिर्फ हार गए बल्कि जनता ने पूरी तरह खारिज कर दिया।
वर्ष 2025 के चुनाव में सोमप्रकाश को मात्र 1,686 मत मिले। कहा जा रहा है कि इनके साथ रहने वाले एक-एक कर हटते चले गए जिस कारण इस बार मतदाताओं ने वोट नहीं किया। |