प्रतीकात्मक चित्र : योग करते लोग
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। 40 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों के लिए ठंड में फिट रहना कठिन नहीं है। बस प्रतिदिन 25-30 मिनट सूक्ष्म एक्सरसाइज, नियंत्रित वार्मअप और सही तापमान के साथ पैदल टहलना, स्ट्रेच और हल्की योग दिनचर्या शरीर को गर्म रखने, हृदय-फेफड़ों को सुरक्षित रखने और आक्सीजन स्तर संतुलित रखने में मदद देती है। ठंड में शरीर का तापमान तेजी से गिरता है, जिससे हृदय, फेफड़े और गुदों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
खासतौर पर 40 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों को अपनी दिनचर्या में हल्की व सूक्ष्म एक्सरसाइज शामिल करनी चाहिए, ताकि शरीर गर्म रहे, ब्लड सर्कुलेशन बना रहे और आक्सीजन का स्तर स्थिर रहे। फिजिशियन डा. सौभाग्य मिश्रा ने बताया कि ठंड में शरीर का मेटाबालिज्म धीमा होने से थकान, जकड़न, शुगर का उतार-चढ़ाव और ब्लड प्रेशर बढ़ने समेत अन्य समस्याएं शुरू हो जाती हैं। ऐसे में नियमित हल्की कसरत कई तरह के जोखिम कम कर सकती है।
हृदय को कैसे फायदा मिलता है
हृदय रोग विशेषज्ञ डा. नितिन अग्रवाल के अनुसार, ठंड के मौसम में रक्त वाहिकाएं सिंकुड़ती हैं, जिससे हृदय को रक्त पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। तेज वर्कआउट करने पर हृदय पर अचानक प्रेशर बढ़ सकता है, इसलिए 40 साल या इससे अधिक उम्र वालों के लिए लो-इंटेंसिटी एक्सरसाइज बेहतर मानी जाती है। इससे ब्लड सर्कुलेशन सुचारू रहता है और हृदय को स्थिर गति से काम करने में मदद मिलती है। लो-इंटेंसिटी एक्सरसाइज यानी वह शारीरिक गतिविधि जो कम ऊर्जा खपत और धीमी गति से की जाती है, जैसे चलना, योग, साइकिल चलाना है। ये व्यायाम जोड़ों पर हल्के होते हैं। इसमें बेहतर रक्त परिसंचरण, मजबूत मांसपेशियां, मानसिक तनाव में भी कमी आती हैं।
फेफड़े व आक्सीजन स्तर के लिए गहरी सांस लेने का व्यायाम
फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डा. शुभेंदु गुप्ता के अनुसार, ठंड के मौसम में नमी कम होने से कई लोगों को सांस लेने में दिक्कत, खांसी-जुकाम और सीने पर भारीपन की समस्या होती है। अपने फेफड़ों के नीचे तक धीमी, गहरी सांस लें, मानो आप अपने पेट में गुब्बारा फुला रहे हों। धीरे-धीरे सांस लें और उसे जबरदस्ती न लें। आपको गिनती करने में मदद मिल सकती है। चार सेकंड तक सांस अंदर लें और चार सेकंड तक सांस बाहर छोड़ें। सूक्ष्म एक्सरसाइज से फेफड़ों की क्षमता बढ़ेगी और शरीर में आक्सीजन का स्तर संतुलित रहेगा। ऐसी कोई एक्सरसाइज न करें जिससे असहजता हो।
गुर्दों के लिए क्यों जरूरी है हल्की कसरत
गुर्दा रोग विशेषज्ञ डा. मोहित टंडन ने बताया कि ठंड में शरीर कम पसीना छोड़ता है, जिससे यूरिक एसिड और सोडियम का स्तर बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति में हल्की एक्सरसाइज शरीर में फ्लूड बैलेंस बनाने में मदद करती है और किडनी पर भार कम करती है। गुर्दों के लिए हल्की कसरत जरूरी है। यह रक्त संचार बेहतर बनाती है, मांसपेशियां मजबूत करती है। थकान कम होती है। गुर्दे के कार्य के लिए आवश्यक है। व्यायाम रक्तचाप और ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है, जो गुर्दे की बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है।
घास और मिट्टी पर हलके कदमों से टहलें
पैंथर जिम संचालक डा. रविंद्र सिंह दत्ता के अनुसार, 40 वर्ष से अधिक लोग ठंड में भारी जिम लोड से बचें। पहले 10 मिनट वार्म-अप जरूर करें। मिट्टी या फिर घास पर पैदल टहलें, हल्का कार्डियो, साइक्लिंग या योग सबसे उपयुक्त हैं। ठंड में यह भी ध्यान रखें कि शरीर को ओवरकवर न करें, ताकि पसीना आने पर कपड़े गीले न रहें। एक्सरसाइज से पहले और बाद में पानी की पर्याप्त मात्रा लेना भी जरूरी है। सर्दी में लक्ष्य फिटनेस रखना है, न कि पावर बढ़ाना। रोज 20–30 मिनट की हल्की एक्सरसाइज ही पर्याप्त है।
ठंड में यह करें
पैदल टहलें। इससे शरीर गर्म होता है। जोड़ों की जकड़न कम होती है। ब्लड सर्कुलेशन बेहतर, स्ट्रेचिंग (5–7 मिनट), मांसपेशियां सक्रिय होती हैं। चोट लगने की संभावना घटती है। डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। आक्सीजन का स्तर स्थिर रहता है।
लेग एक्सटेंशन पैरों की एक्सरसाइज
आर्म-लेग रोटेशन से जोड़ों में लचीलापन, ठंड से होने वाली अकड़न कम होती है। इसके साथ ही योग की हल्की क्रियाएं ताड़ासन, वृक्षासन, भुजंगासन करने से मानसिक शांति और शरीर में संतुलन बना रहता है।
यह बरतें सावधानी
| - सुबह ज्यादा ठंड में बाहर न निकलें, दोपहर या शाम का समय बेहतर | | - दमा, हार्ट या हाई बीपी वाले डाक्टर की सलाह से ही एक्सरसाइज करें | | - भारी वजन, स्प्रिंट या अचानक तेज भागने से बचें | | - ढीले-गर्म कपड़े पहनें, न बहुत अधिक, न बहुत कम | | - स्ट्रेचिंग कभी भी ठंडे शरीर से न करें |
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