deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

Tribal Handicraft Festival: गेहूं के ठंडल से बना रहे श्रीराम और बिरसा मुंडा की प्रतिकृति

LHC0088 2025-11-13 23:37:34 views 518

  

बहराइच की बलई गांव निवासी प्रीति पारंपरिक मूंज कला को आगे बढ़ा रही



जागरण संवाददाता, लखनऊ: लोक नायक बिरसा मुंडा की 150वी जयंती पर इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित जनजाति भागीदारी उत्सव में जनजाति कलाओं के कई स्टाल बरबस लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं। पारंपरिक कला के इस उत्सव में आए पारंपरिक कारीगर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बहराइच की बलई गांव निवासी प्रीति पारंपरिक मूंज कला को आगे बढ़ा रही हैं। 12वीं के बाद एएनएम का कोर्स कर रही हैं। बहन राजकुमारी के साथ ही कला को संरक्षित करने में लगी है। उनका कहना है कि आधुनिकता के दौर में कला को संरक्षित करने की पहल युवाओं काे करनी होगी। बिरसा मुंडा के अलावा श्रीराम, भोलेनाथ, श्री कृष्ण की आकृतियों को गेहूं के डंठल से बनाकर लोगों को अपनी बदलती कला से परिचित करा रही हैं। मूंज के बनी कटोरी व सजावटी सामान भी आकर्षण का केंद्र हैं।
मीरजापुर की दरी की बुनाई का प्रदर्शन
मीरजापुर की हस्त कला दरी को लेकर आए सुल्तान बुनाई के लिए करघा भी लेकर आए हैं और उस पर लोगों को दरी की बुनाई करके दिखा रहे हैं। पुस्तैनी कला को आगे बढ़ाने के साथ ही आधुनिक डिजाइनों को बनाकर युवाओं का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। पिछली पांच पीढ़ियों से दरी बुनाई का कार्य कर रहे हैं। उनका कहना है कि बलई गांव में हर कोई दरी की बुनाई करता है। 600 से लेकर एक लाख रुपये तक की दरियों की बुनाई होती है। कला को संजोए रखने की चुनौती भी अधिक है, क्योंकि कला को उतना सम्मान नहीं मिल पाता, जितना मिलना चाहिए। इसकी वजह से युवा शहर जाकर दूसरे काम करने लगे हैं।
सुपारी और लकड़ी के खिलौने
चित्रकूट के सीतापुर गांव से आए देवराज काष्ठ कला का प्रदर्शन कर बच्चों के साथ बड़ों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। छोटे व बड़े बच्चों के लिए लकड़ी की गाड़ियां, लट्टू व ढपली समेत कई खिलौने उनके पास मौजूद हैं। प्लास्टिक के खिलौनों से दूर ये खिलौने न तो शरीर और न ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। सदियों पुरानी कला को जीवंत करने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना कि प्लास्टिक के मुकाबले ये खिलौने थोड़े महंगे व टिकाऊ होते हैं, लेकिन लोगों को सस्ता सामान चाहिए होता है। कला को संरक्षित करने के लिए लोगों को भी ऐसी कला काे बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

310K

Threads

0

Posts

1010K

Credits

Forum Veteran

Credits
103868
Random