केंद्र सरकार की एजेंसियां ही धूल प्रदूषण नियंत्रण में लापरवाही बरत रही हैं।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए वायु गुणवत्ता आयोग जैसी संस्था का गठन किया है। इसी केंद्र सरकार के अधीन कई एजेंसियां धूल प्रदूषण से निपटने में लापरवाही बरत रही हैं। सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत राजेंद्र प्रसाद मार्ग स्थित कर्तव्य भवन के बाहर सड़क किनारे चल रहे निर्माण कार्य में न तो नियमों का पालन हो रहा है और न ही पटरियों पर ढोई जा रही मिट्टी को ढका जा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आसपास रहने वाले लोग लंबे समय से धूल से परेशान हैं और ट्रकों पर ढोई जा रही मिट्टी भी सड़क पर चल रहे अन्य वाहनों पर गिर रही है। घर से खुशमिजाज होकर निकलने वाले लोग भी अक्सर प्रदूषण से परेशान रहते हैं, लेकिन केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं होता।
वीवीआईपी इलाका माने जाने के बावजूद इस मार्ग पर यह हाल है। पास में ही कई सांसदों के बंगले हैं। उनके कर्मचारियों के मुताबिक, उन्हें दिन भर धूल प्रदूषण का सामना करना पड़ता है। फिर भी, निर्माण कार्य की देखरेख कर रहा केंद्रीय लोक निर्माण विभाग बेपरवाह नजर आ रहा है। यहां 24 घंटे धूल का गुबार छाया रहता है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व नगर निगम पार्षद अजय शर्मा का कहना है कि राष्ट्रीय हित की परियोजनाओं के लिए वायु गुणवत्ता आयोग द्वारा GRAP के तहत काम करने की छूट का दुरुपयोग किया जा रहा है। उनका कहना है कि आयोग ने राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं पर काम करने की अनुमति तो दी है, लेकिन यह भी निर्देश दिया है कि नियमों का सख्ती से पालन किया जाए।
निर्माण स्थल पर धूल नहीं होनी चाहिए। अगर मिट्टी की खुदाई की जाती है, तो उसे धूल प्रदूषण से बचाने के लिए किया जाना चाहिए, और अगर ट्रकों में मिट्टी ले जाई जाती है, तो उसे पूरी तरह से ढक दिया जाना चाहिए ताकि धूल न उड़े। हालाँकि, ये नियम केवल कागजों तक ही सीमित हैं। मिट्टी से लदे ट्रक भी इस स्थल पर घंटों खुले रहते हैं, जिससे धूल उड़ती है। शर्मा अपने समर्थकों के साथ धूल की स्थिति का प्रदर्शन करने देर रात राजेंद्र प्रसाद मार्ग भी पहुँचे। |