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Bihar Election 2025: मतदान खत्म, चर्चा शुरू; चौक-चौराहों पर बन रही विधायक के साथ सरकार

deltin33 2025-11-13 09:36:09 views 90

  

Bihar Election 2025: चौक-चौराहों पर सरकार के साथ विधायक बनाने पर हो रही चर्चा। फोटो जागरण



सुनील आनंद, बेतिया (पश्चिम चंपारण)। दिन बुधवार। यहीं कोई सात बजे हैं। अलसाई सुबह में ठंड का एहसास और चाय की तलब। दो सप्ताह के चुनाव शोर के बाद सन्नाटा जैसा माहौल है।

शहर के आइटीआई चौराहे पर चाय की दुकान पर ग्राहकों की भीड़ है। चूल्हे पर चाय खौल रहा है और चर्चा चल रही है। सबका एक ही सवाल आखिर ऐसा क्या हुआ कि जिले में पहली बार 71.38 प्रतिशत मतदान हुआ है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कोई कह रहा है कि यह एसआइआर का कमाल है। फर्जी वोटर हटे तो मतदान का प्रतिशत बढ़ गया तो कोई मतदान का प्रतिशत बढ़ने में महिलाओं की भागीदारी को अहम मान रहा है।

बढ़े मतदान का परिणाम पर क्या असर पड़ेगा, यह सवाल सबके जेहन में मंडरा रहा है। कोई कहता है कि यह मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का असर है तो कोई कहता है कि भ्रष्टाचार का सफाया और रोजगार के लिए मतदान हुआ है।

चाय की दुकान में शाल ओढ़े एक कोने में बैठे सेवानिवृत शिक्षक रामेश्वर प्रसाद ने सबकी चुप्पी तोड़ी और कहा कि, भाई मैं 40 वर्षों तक विभिन्न चुनावों में ड्यूटी करता रहा हूं। इस चुनाव ने तो बिहार की राजनीति की दिशा ही बदल दी है।

प्राय: घरों की महिलाएं पहले अपने परिवार के पुरुष या फिर बुजुर्ग महिलाओं के साथ बूथों पर मतदान के लिए जाती रही हैं, लेकिन इस बार मैंने कुछ अलग ही कहानी देखी। महिलाएं अलग-अलग झुंड में मतदान करने के लिए पहुंची और उनका कोई गाइड नहीं था।

वे स्वयं के विवेक से इवीएम का बटन दबाने का निर्णय ले रही थीं। यह बदलाव बिहार की राजनीति में जातिवाद के चक्रव्यूह को तोड़ने जैसा है। 14 नवंबर को मतों की गिनती में इसका फलाफल भी दिख जाएगा। मास्टर साहब के इस तर्क पर सबों ने मौन सहमति दी।
गांवों में सरकार के साथ विधायक बनाने पर चर्चा

शहरी मिजाज भांपने के बाद हमारी उत्सुकता हुई , थोड़ा गांवों की ओर झांक कर आते हैं। 11 किमी दूर नौतन विधानसभा क्षेत्र के कठैया पहुंचे। चौराहे पर चाय की दुकान में पहुंचे तो देखा यहां पहले से बिहार में सरकार बन रही है और साथ में अपने क्षेत्र में विधायक कौन बनेगा, इस पर भी चर्चा छिड़ी हुई है।

हम इस चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए महिलाओं की वोटिंग की बात की तो वहां बैठे दो बुजुर्ग तिलमिला गए। कहा कि अब किसी भी घर की महिला अपने निर्णय में पुरुषों को शामिल नहीं करती हैं।

अपने मन की मालिक हो गई हैं। जब से दस हजार खाते में आया है, तब से कहां - किसी की बात सुनती है। दुकान के बाहर खड़े स्नातक के छात्र शिवम ने कहा, तो चाचा इसमें बुराई क्या है? पहले चूल्हा-चौका करती थी और अब चूल्हा- चौका के साथ काम कर परिवार में आर्थिक सहयोग कर रही है, यह तो अच्छी बात है।

तभी एक अधेड़ ने कहा कि नेताओं को वोट देने का वादा तो घर का पुरुष सदस्य करता है। अब उसके वादे का तो कोई मान नहीं रहा। खैर, इस बहस के दौरान अच्छी बात यह निकलकर आई कि मतदान के दौरान लोगों ने सरकार के साथ-साथ अपने विधायक को भी परखा है और फिर इवीएम का बटन दबाया है।
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