प्रतीकात्मक तस्वीर।
शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली। लालकिले के पास किए गए बम धमाके में घायल राहुल कौशिक जीटीबी अस्पताल से अपने घर लौट आए हैं। विस्फोट से उनके पैर की हड्डी टूटने के साथ ही कानों को सुनाई देना कम हो गया है। भले ही इस हमले काे दो दिन गुजर चुके हैं, लेकिन वह खौफनाक मंजर युवक की आंखों के सामने है। ब्लास्ट का नाम सुनते ही उसके माथे पर बल पड़ जाते हैं, पसीना आने लगता है। युवक का कहना है वह मौत को करीब से देखकर वापस लौटा है। युवक का मानना है भगवान शिव के आशीर्वाद से वह बचा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दोस्त के साथ गया था पुरानी दिल्ली
राहुल कौशिक, राेहतास नगर में रहते हैं। वे एक इंस्टीट्यूट से एनिमेशन का कोर्स कर रहे हैं। वह और उसका दोस्त अंकुश एक ही मकान में अलग-अलग मंजिल पर रहते हैं। राहुल कौशिक ने \“दैनिक जागरण\“ को बातचीत में बताया कि वह अपने दोस्त के साथ सोमवार शाम को पुरानी दिल्ली गए थे। बाइक उनका दाेस्त चला रहा था। दोनों ने हेलमेट पहने हुए थे।
धमाके से हेलमेट तक टूट गया
उन्होंने आगे बताया, “लालकिले के पास पहुंचते ही एक ब्लास्ट हुआ। कुछ देर तक वह समझ ही नहीं पाए की हुआ क्या है? सिर से हेलमेट टूटकर गिर गए थे। होश संभाला तो देखा अंकुश का एक तरफ का चेहरा झुलस गया और आंख भी खत्म हो गई। चेहरे से खून बह रहा है। पास में शवों के चीथड़े पड़े हुए थे। राहुल खुद पैरों से चल नहीं पा रहा था। उसके कानों में सीटी के जैसी आवाज गूंज रही थी।“
जीटीबी अस्पताल ने पुलिस को बताया...
हादसे के वक्त की भयावहता को याद करते हुए राहुल ने कहा कि खुद को किसी तरह से संभालने के बाद घरवालों को फोन किया। उसका परिवार लालकिले पर पहुंचा और उसे घायल हालत में जीटीबी अस्पताल में भर्ती करवाया। सोमवार देर रात को राहुल को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। राहुल वह घायल है जिसका नाम सरकार की सूची में नहीं है। मंगलवार को जीटीबी अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को सूचना दी कि ब्लास्ट में एक घायल का इलाज जीटीबी अस्पताल में हुआ है।
घरवाले तेज आवाज में बात करने को मजबूर
हादसे के बारें में याद करके राहुल की आंखों के सामने खौफनाक मंजर सामने आ जाता है। उसका दोस्त अंकुश लोकनायक में भर्ती है, उसे बहुत याद कर रहा है। उसके पास जाने की जिद कर रहा है। घरवाले उसे किसी तरह से संभाल रहे हैं। राहुल से बात करने के लिए परिवार को तेज आवाज में बोलना पड़ रहा है, हल्की आवाज उसे सुनाई नहीं दे ही है।
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