राज्य ब्यूरो, रांची। सीआईडी के अधीन संचालित साइबर अपराध थाने की पुलिस ने रांची की एक महिला डॉक्टर से 10 लाख रुपये की साइबर ठगी के एक मामले में नोएडा से एक आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आरोपित विकास उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित सेक्टर 63 का रहने वाला है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
साइबर अपराध थाने की पुलिस ने उसे नोएडा पुलिस के सहयोग से गिरफ्तार किया और ट्रांजिट रिमांड पर लेकर रांची पहुंची। यहां न्यायालय में प्रस्तुत करने के बाद उसे रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में भेज दिया है।
उसके पास से बैंक खाते, वाट्सएप चैट व इस मामले में प्रयुक्त मोबाइल को भी बरामद किया गया है। पीड़ित महिला डॉक्टर ने साइबर अपराध थाने में 22 अगस्त को आइटी एक्ट की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि उन्हें साइबर अपराधी ने वॉट्सऐप पर संपर्क किया और खुद को केंद्रीय प्रवर्तन एजेंसियों का अधिकारी बताकर डराया-धमकाया।
महिला डॉक्टर पूरी तरह डिजिटल अरेस्ट की शिकार हो गईं। आरोपित साइबर अपराधी ने पीड़िता को केस में बचाने के एवज में झांसे में लिया और उनसे सिटी यूनियन बैंक नोएडा के खाते में आरटीजीएस के माध्यम से 10 लाख रुपये स्थानांतरित करवा लिया।
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद साइबर अपराध थाने की पुलिस ने बैंक खाते का विश्लेषण किया, डिजिटल सबूतों का पता लगाते हुए आरोपित तक पहुंची। वह आरोपित कई राज्यों में डिजिटल अरेस्ट व धोखाधड़ी के मामले में शामिल मिला है। उसने ऐसे अपराध के लिए कई म्यूल खातों की व्यवस्था की थी।
पुलिस की जांच जारी है, ताकि अन्य लाभार्थियों, हैंडलरों व बैंक म्यूल खातों की पहचान की जा सके जो इस गिरोह से जुड़े हैं। पुलिस की जांच व भारत सरकार के गृह मंत्रालय के माध्यम से संचालित नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल के माध्यम से जानकारी मिली है कि गिरफ्तार आरोपित के विरुद्ध विभिन्न राज्यों में कुल दस शिकायतें दर्ज हैं।
पुलिस ने आम लोगों से अपील की है कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन या वीडियो काल पर पैसे की मांग नहीं करती और न ही किसी का डिजिटल अरेस्ट करती है। अज्ञात काल करने वाले की किसी भी धमकी के दबाव में पैसे ट्रांसफर न करें। साइबर ठगी का शिकार होने पर इसकी सूचना तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दें। |
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