पोक्सो में दोषी ठहराए शिक्षक की पांच साल की सजा को अपील लंबित रहने तक निलंबित किया।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी यौन शोषण मामले में पीड़ित की तात्कालिक प्रतिक्रिया और उसके बाद का व्यवहार आरोपों की विश्वसनीयता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसी आधार पर अदालत ने पोक्सो में दोषी ठहराए गए एक शिक्षक की पांच साल की सजा को अपील लंबित रहने तक निलंबित कर दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अदालत ने रिकार्ड का हवाला देते हुए कहा कि कथित घटना के अगले दिन 12 वर्षीय छात्रा न केवल पेरेंट-टीचर मीटिंग में शामिल हुई, बल्कि स्कूल में तस्वीरें खींचकर अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर मजेदार कैप्शन के साथ पोस्ट भी की थीं।
न्यायाधीश नमित कुमार ने टिप्पणी की कि इतने गंभीर अपराध का सामना करने वाली नाबालिग से इस तरह के सहज और सामान्य व्यवहार की उम्मीद नहीं की जा सकती। अदालत के अनुसार, उसके व्यवहार में न तो डर नजर आया और न ही कोई भावनात्मक तनाव, जो आमतौर पर ऐसे मामलों में देखा जाता है।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि 7वीं कक्षा की छात्रा को शिक्षक दिनेश कुमार ने मिलने बुलाया और अभद्र बातें करते हुए गलत तरीके से छुआ। छात्रा ने यह बात घर पहुंचकर परिजनों को बताई, जिसके आधार पर चंडीगढ़ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और बाद में अदालत ने उसे दोषी ठहराते हुए पांच साल की सजा सुनाई थी।
याची ने सजा निलंबित करने की मांग की, यह कहते हुए कि छात्रा को मोबाइल लाने और वीडियो रील बनाने पर डांटने के कारण उसने झूठे आरोप लगाए। अदालत ने यह भी माना कि मामले में मेडिकल या वैज्ञानिक सबूत उपलब्ध नहीं हैं। साथ ही, याची पिछले एक वर्ष से हिरासत में है और अपील पर जल्द सुनवाई संभव नहीं दिखती। इन परिस्थितियों में सजा निलंबित करना उचित माना गया। |