टमाटर से होने वाली आय उनके लिए आर्थिक सहायता का एक महत्वपूर्ण स्रोत रही है।
जागरण संवाददाता, राजगढ़ (मीरजापुर)। राजगढ़ क्षेत्र में पिछले 35 वर्षों से हजारों किसान 2500 एकड़ भूमि पर टमाटर की खेती कर रहे हैं। टमाटर से होने वाली आय उनके लिए आर्थिक सहायता का एक महत्वपूर्ण स्रोत रही है। लेकिन अब स्थानीय बाजार मंडी के अभाव और फसल का उचित मूल्य न मिलने के कारण किसान काफी परेशान हैं। राजगढ़ क्षेत्र के किसानों की आर्थिक रीढ़ मानी जाने वाली टमाटर की फसल आज संकट में है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
किसानों का कहना है कि उन्होंने कई बार स्थानीय बाजार की मांग की है, लेकिन जनप्रतिनिधियों ने चुनाव के समय मंडी खोलने का वादा किया, जो चुनाव के बाद केवल वादे ही रह जाते हैं। किसान जनप्रतिनिधियों को कोसते हुए नजर आ रहे हैं। यदि क्षेत्र में टमाटर बिक्री के लिए स्थानीय बाजार होता, तो उन्हें बेहतर मूल्य मिलता। वर्तमान में, स्थानीय बाजार न होने के कारण टमाटर को पानी के भाव बेचना पड़ रहा है।
किसानों का मानना है कि यदि मंडी होती, तो उन्हें अच्छे दाम मिलते और उनकी कमाई में वृद्धि होती। बाहरी व्यापारियों पर निर्भरता कम होती और वे अपने टमाटर का मूल्य खुद तय कर पाते। पिछले कई वर्षों से खेती की लागत बढ़ने के कारण किसानों की कमाई में कमी आई है, जिससे वे टमाटर की खेती से विमुख हो रहे हैं।
राजगढ़ क्षेत्र में टमाटर की खेती का क्षेत्रफल 2500 एकड़ से घटकर 1500 एकड़ तक सीमित हो गया है। इसका मुख्य कारण स्थानीय बाजार का अभाव है, जिससे खेती की लागत भी कम नहीं हो पा रही है। किसान अब टमाटर की खेती को छोड़कर अन्य फसलों की ओर रुख कर रहे हैं।
इस स्थिति ने किसानों के लिए चिंता का विषय बना दिया है। यदि जल्द ही स्थानीय बाजार की व्यवस्था नहीं की गई, तो राजगढ़ क्षेत्र में टमाटर की खेती का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। किसानों की इस समस्या को हल करने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि अन्नदाता की मेहनत का उचित मूल्य मिल सके और वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकें।
बोले किसान
टमाटर का भाव पूरी तरह बाहर के व्यापारियों पर निर्भर है, मेले व अन्य कारणों के द्बारा बाहर के रास्तों को सील कर दिए जाने पर बाहरी व्यापारी हफ्तों नहीं पहुंच पाते हैं। किसानों के टमाटर की बिक्री नहीं हो पाती है, जिससे हजारों कुंतल टमाटर खेतों में सड़ जाता है। किसान अपने किस्मत पर आंसू बहाते रह जातें हैं। - खंजाची राजगढ़।
धनसिरीया, भगवानपुर, चौखड़ा, निकरिका भवानीपुर, खोराडीह, ददरा, भीटी, दरबान, लूसा सहित अन्य सैकड़ों गांवों में टमाटर की खेती होती है। स्थानीय मंडी न होने के कारण उचित दाम नहीं मिल पाता। यहां के किसानों के टमाटर का दाम पूर्णतया बाहरी व्यापारियों पर निर्भर है। उनके मन मुताबिक दाम दिया जाता है। लागत से कम दाम मिलने पर किसानों का दिल टूट जा रहा है। किसान टमाटर के खेती विमुख हो रहे हैं। - राकेश कुमार राजगढ़।
स्थानीय मंडी न होने के कारण, टमाटर का भाव बाहरी व्यापारियों पर निर्भर होने से एक ऐसा समय आ जाता है। टमाटर तुड़वाने के खर्चे से भी कम दाम पर टमाटर बिकने लगता है। मजबूरी में किसानों को खेत में टमाटर छोड़ना पड़ता है। - नीरज कुमार, नदीहार।
सरकार के द्बारा स्थानीय क्षेत्र में टमाटर मंडी के साथ टोमैटो सॉस व संबंधित कारखाने नहीं लगाये गये तो यहां के टमाटर का भाव बाहरी व्यापारियों के मन मुताबिक लगाने से हो रहे घाटे से टमाटर की खेती बिल्कुल ही बंद होने के कगार पर है। - रमेश कुमार ददरा। |