वोट देती हुई महिलाएं। फाइल फोटो
सुनील राज, गयाजी। पौराणिक शहर गया प्रेम से बात करने का सलीका जानता है। लेकिन, इस प्रेम के बीच मुद्दे यहां आज भी जिंदा हैं। कहीं मुंबई के लिए अतिरिक्त ट्रेनों की मांग है तो किसी वार्ड को गंगाजल चाहिए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मतदाताओं के बीच सड़कों की बदहाली की बात अगर है तो रोजगार, सुरक्षा के मुद्दे भी यहां की फिजां में हैं। युवा नौकरी-रोजगार की मांग के बीच यह भी कहते हैं कि गयाजी जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक शहर में पर्यटन आधारित रोजगार को बढ़ाया जा सकता है, बस थोड़े से ध्यान की जरूरत है।
गयाजी टाउन के बागेश्वरी स्थित मध्य विद्यालय लोको (उत्तरी गया जी) के बूथ 38, 39 और 40 में लोग पंक्तिबद्ध हैं। राहुल इसी पंक्ति में खड़े हैं। कहने लगे, हम पुराने शहर के लोग हैं। भले ही पहली बार वोट दे रहे हैं, परंतु हमें पता है कि हमारे वोट का क्या वैल्यू है।
प्रीति कहती हैं, पहले भी वोट दे चुके हैं। इस बार हर पार्टी इतना रुपया-पैसा देने की बात करती है। फार्म भी भराए जाते हैं, पर सुविधाएं सिर्फ चुनिंदा लोग तक पहुंचती हैं। रही विकास और रफ्तार की बात तो काम पूरे हुए भी हैं और होने बाकी भी हैं।
गयाजी सदर कुष्ठ कालोनी के बाल विकास परियोजना के कार्यालय में बने बूथ 43 में बिंदेश्वर सिंह कहने लगे, यह भाजपा का गढ़ है। कांग्रेस इस बार पूरी ताकत से दस्तक देने में जुटी है। कौन जीतेगा कौन हारेगा, कहना मुश्किल है। एक ओर आठ बार के विधायक प्रेम कुमार हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस के अखौरी ओंकारनाथ।
एक तरह पुराना भरोसा है तो एक तरफ नई उम्मीद। जनता तय करेगी कि कौन विधानसभा तक जाएगा और कौन नहीं। यहां बता दें कि गया टाउन में इस बार लड़ाई आमने-सामने की है। एक ओर गया टाउन के पुराने और कद्दावर भाजपा उम्मीदवार प्रेस कुमार हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस के अखौरी ओंकारनाथ हैं।
प्रेम कुमार गया विधानसभा सीट से लगातार आठ बार चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने कांग्रेस से यह सीट छीन कर भाजपा की झोली में ऐसा डाला कि फिर कोई दूसरा यहां से चुनाव जीत ही नहीं सका। दूसरी ओर, कांग्रेस उम्मीदवार अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव हैं।
जो गया के डिप्टी मेयर रह चुके हैं। बहरहाल गया टाउन में भले ही हार-जीत को लेकर मतदाता खुलने से बचते हैं, परंतु इतना तो साफ है कि पौरणिक शहर गया में मुद्दे आज भी जिंदा है। लोग मुद्दों को उठाने से बचते नहीं हैं। कहते हैं यह मौका पांच साल में एक बार मिलता है तो फिर मौन क्यों रहा जाए।
बोधगया विधानसभा सीट : आमने-सामने की लड़ाई में चुप हैं मतदाता
गयाजी से अलग बोधगया में लड़ाई भले ही आमने-सामने की होने की बात मतदाता करें परंतु हार-जीत को लेकर उनके जवाब उलझे हुए हैं। बोधगया में लड़ाई महागठबंधन से राजद प्रत्याशी कुमार सर्वजीत और एनडीए से लोजपा प्रत्याशी श्यामदेव पासवान के बीच है।
महागठबंधन उम्मीदवार और राजद नेता कुमार सर्वजीत फिलहाल इस सीट से विधायक हैं। उनका मुकाबला एनडीए कैंडिडेट और लोजपा रामविलास के नेता श्यामदेव पासवान से है। यहां मतदाता बंटे हुए दिखे। कहीं पक्ष की बात है तो कहीं विपक्ष की।
बोधगया के भैया बिगहा मतदान केंद्र में लाइन में लगे हजारी कुमार हो या फिर छोटू अपने पत्ते खोलने से बचते हैं। सवाल का जवाब एक लाइन में देते हैं, किसी की भी सरकार हो हमारी किस्मत में तो लाठी और डंडे ही हैं। बहरहाल बोधगया में मतदाता खामोश हैं और अपने निर्णय को गुपचुप तरीके से ईवीएम में बंद करना चाहते हैं। |