जमात ए इस्लामी ने चेताया, देश में पहले जनमत संग्रह, उसके बाद ही आम चुनाव (फोटो- रॉयटर)
एपी, ढाका। बांग्लादेश में आम चुनाव से पहले राजनीति गर्म होती जा रही है। देश की सबसे बड़ी इस्लामिक पार्टी जमात ए इस्लामी ने मंगलवार को सख्त चेतावनी दी कि फरवरी में होनेवाले आम चुनावों से पहले देश में जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए, ताकि चुनाव से पहले प्रस्तावित चार्टर को वैधानिक आधार मिल सके। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आनेवाले दिनों टकराव बढ़ने की आशंका
वहीं पूर्व पीएम खालिदा जिया की बीएनपी ने कहा है कि संविधान में जनमत संग्रह का उल्लेख नहीं है और अंतरिम सरकार कह चुकी है कि वह संविधान के मुताबिक काम करेगी। ऐसे में आनेवाले दिनों टकराव बढ़ने की आशंका है।
जमात के प्रमुख शफीकुर रहमान ने यहां आयोजित सात इस्लामिक सहयोगियों की संयुक्त रैली में कहा कि इस देश के आजादी पसंद लोगों का एक ही संदेश है- आम चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनमत संग्रह कराया जाए।
जमात ने रैली आयोजित की
बता दें कि जमात ने अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए ये रैली आयोजित की। रहमान ने स्पष्ट किया कि जनमत संग्रह के बगैर प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में नेशनल सहमति आयोग द्वारा चयनित राजनीतिक दलों के साथ लंबे परामर्श के बाद तैयार किए गए जुलाई चार्टर का कानूनी आधार स्थापित किए बिना आम चुनाव की कोई संभावना नहीं बनती।
राष्ट्रीय चुनाव से पहले जनमत संग्रह का विरोध
जमात का ये रुख बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के रुख के बिल्कुल उलट है, जो राष्ट्रीय चुनाव से पहले जनमत संग्रह का विरोध कर रही है।
बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने उत्तर पश्चिम में स्थित ठाकुरगांव में एक रैली में कहा कि जमात को चुनाव से डर है क्योंकि उन्हें पता है कि इससे उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
गौरतलब है कि बीएनपी और जमात ने पिछले महीने एक भव्य कार्यक्रम में 84 प्रस्तावों वाले चार्टर पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन इसे लागू करने की प्रक्रिया को लेकर विवाद बढ़ गया।
बीएनपी पीछे क्यों हटी
अपदस्थ पीएम शेख हसीना की गैरमौजूदगी में सरकार बनाने की प्रबल दावेदार बीएनपी जनमत संग्रह के मुद्दे से पीछे हट रही है। पार्टी का कहना है कि तमाम मुद्दों पर चर्चा करने के लिए संसद उपयुक्त जगह है क्योंकि संविधान में भी जनमत संग्रह जैसा प्रविधान नहीं है। हालांकि, पार्टी ने अनिच्छा से जनमत संग्रह पर सहमति जताई थी लेकिन जोर दिया था कि ये जनमत संग्रह चुनाव वाले दिन ही होना चाहिए।
बीएनपी के नीति निर्माता स्थायी समिति के सदस्य अमीर खुसरू महमूद चौधरी ने पिछले हफ्ते कहा कि अंतरिम सरकार ने संविधान की रक्षा की शपथ ले रखी है, जबकि संविधान में जनमत संग्रह का कोई प्रविधान ही नहीं है। |