जागरण संवाददाता, गोरखपुर। जिस नशे की चर्चा अभी तक मुंबई और बेंगलुरु जैसे महानगरों में होती थी,वह अब गोरखपुर तक पहुंच गया है। तीन दिन पहले एएनटीएफ (मादक पदार्थ रोधी बल) की टीम ने कैंट क्षेत्र में अमेरिकन जैविक गांजा के साथ युवक को गिरफ्तार किया था। उसके पास से करीब 17 लाख रुपये मूल्य का गांजा बरामद किया।बाराबंकी से लेकर पूर्वांचल में फैले इस नेटवर्क की छानबीन चल रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एएनटीएफ की टीम ने शनिवार को दाउदपुर से चरगांवा के रहने वाले युवक को गांजा के साथ गिरफ्तार किया था।जांच में पता चला कि वह बाराबंकी जिले में दर्ज एनडीपीएस एक्ट के मुकदमे में वांछित है।दाउदपुर में रहने वाले अपने साथी के जरिए अमेरिकन जैविक गांजा मंगवाकर गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज और बस्ती में सप्लाई करता था।
एएनटीएफ थाना प्रभारी ने इस मामले में आरोपितों के विरुद्ध कैंट थाने में मादक पदार्थ की तस्करी करने का मुकदमा दर्ज कराया है।तस्करी में लिप्त युवक के साथ ही उसके नेटवर्क से जुड़े लोगों की तलाश में जिले की पुलिस के अलावा एएनटीएफ की टीम छापेमारी कर रही है।चर्चा है कि इस रैकेट से शहर के कई रेस्टोरेंट व क्लब संचालक भी जुड़े हैं जो युवाओं को नशे का आदी बना रहे हैं।
क्या है अमेरिकन जैविक गांजा :
अमेरिकन जैविक गांजा सामान्य गांजे से कई गुणा अधिक ताकतवर व महंगा होता है। इसे अमेरिका के कैलिफोर्निया और नेवादा जैसे राज्यों में जल पोषण तकनीक से उगाया जाता है, जिसमें पौधों को मिट्टी के बजाय पोषक तत्वों वाले पानी में तैयार किया जाता है।
इसमें मौजूद टेट्राहाइड्रो कैनाबिनोल (टीएचसी) की मात्रा साधारण गांजे से लगभग चार गुणा अधिक होती है, जिससे इसका असर तुरंत और लंबे समय तक रहता है।यह गांजा आमतौर पर धूम्रपान यंत्र (वेप), सूखी पत्ती के कश या कागज में लपेटकर सिगरेट जैसे रोल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।इसकी कीमत एक करोड़ रुपये प्रति किलो तक होती है।विशेषज्ञों की माने तो गांजे का सेवन मानसिक असंतुलन, नींद की समस्या तीन गुणा बढ़ा देता है। |