जागरण संवाददाता, रामपुर। दिल्ली में आतंकी हमले ने एक बार फिर रामपुर के लोगों के जेहन में पुरानी घटनाएं ताजा कर दी हैं। आतंकी और आतंकी घटनाओं से रामपुर का नाम भी जुड़ता रहा है। 18 साल पहले तो यहां के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर आतंकी हमला हुआ था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह हमला 31 दिसंबर 2007 की रात उस समय हुआ था, जब लोग नए साल के स्वागत का जश्न मनाकर थककर सो गए थे। रात करीब ढाई बजे आतंकियों ने सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर एके 47 और हैंड ग्रेनेड से हमला किया था। इस हमले में सीआरपीएफ के सात जवान बलिदान हो गए थे, जबकि एक रिक्शा चालक की भी जान गई थी। हमले के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया था। इनके खिलाफ 12 साल तक मुकदमा चला और सजा हुई, लेकिन हाईकोर्ट में अपील पर सुनवाई के बाद पुलिस की कमजोर विवेचना के चलते सजा रद्द हो गई थी।
आतंकियों को लेकर जिले की टांडा तहसील भी काफी चर्चा में रहती है। यहां के ग्राम मुतियापुरा निवासी अनस को वर्ष 2021 में जम्मू कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उस पर पाकिस्तानी हैंडलर्स को भारत के धार्मिक स्थलों की जानकारी भेजने का आरोप लगा था।
टांडा के ही मुहल्ला आजादनगर निवासी शहजाद को तो इसी साल 18 मई को लखनऊ एटीएस ने गिरफ्तार किया था। उस पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए जासूसी करने का आरोप लगा है। वह मसालों के व्यापार की आड़ में सीमा पार संदिग्ध गतिविधियों में शामिल था। उसके कई बार पाकिस्तान जाने और वहां के आइएसआइ एजेंट के संपर्क में होने की जानकारी एटीएस को मिली थी।
आतंकी गतिविधियों में शामिल युवक की गिरफ्तारी का एक मामला तो डेढ़ माह पहले का है। 28 सितंबर को उत्तर प्रदेश एटीएस ने जिले के थाना खजुरिया क्षेत्र के सराय कदीम गांव में छापा मारा था। यहां रहने वाले 23 साल के कासिम अली को गिरफ्तार किया था।
उस पर आरोप था कि वह कट्टरपंथी पाकिस्तानी संगठनों से प्रभावित होकर भारत में हिंसात्मक जिहाद के माध्यम से सरकार को गिराकर, हथियारों के बल पर शरिया कानून लागू करने की योजना बना रहा था।इसके साथ ही उसकी मुजाहिद्दीन आर्मी बनाने की भी योजना थी। उसके साथ प्रदेश के दो जिलों सुल्तानपुर और सोनभद्र से भी दो साथियों को गिरफ्तार किए गए थे। |