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ट्रंप ने किया दूर तो भारतीयों पर चीन ने डाले डोरे, ड्रैगन लाया H-1B Visa का चीनी वर्जन; इन कंपनियों की मौज!

LHC0088 2025-11-12 00:39:27 views 441

  

ट्रंप ने किया दूर तो भारतीयों पर चीन ने डाले डोरे, ड्रैगन लाया H-1B Visa का चीनी वर्जन; इन कंपनियों की मौज!



नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने सितंबर में एच-1बी वीजा को लेकर नया नियम लागू किया था। नए नियम के अनुसार अब जो भी विदेशी जिनमें भारतीय भी शामिल हैं अगर अमेरिका नौकरी करने के लिए जाते हैं तो एच-1बी वीजा के लिए उन्हें 1 लाख डॉलर की फीस भरनी होगी। भारतीय रुपयों में यह करीब 88 लाख रुपये होगा। लेकिन अब इसी का फायदा चीन ने उठाया है। चीन ने भारत समेत विदेशी कर्मचारियों को अपने यहां बुलाने के लिए एच-1बी वीजा की तर्ज पर चीनी वर्जन शुरू किया है। अब चीन में काम करने वाली कंपनियों को इससे फायदा होगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अमेरिका का मुकाबला करने के लिए चीन का K-वीजा

अमेरिका को टक्कर देने के लिए चीन ने एच-1बी वीजा का चीनी वर्जन शुरू किया है। पिछले महीने बीजिंग ने जो K-वीजा शुरू किया है, वह ग्लोबल टैलेंट और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की दौड़ में अमेरिका से मुकाबला करने के लिए चीन की बढ़ती कोशिशों का हिस्सा है। यह ऐसे समय में हुआ है जब प्रेसिडेंट डोनल्ड ट्रंप द्वारा लागू की गई सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी के तहत अमेरिका के H-1B प्रोग्राम को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

भारतीय इंजीनियर वैष्णवी श्रीनिवासगोपालन जिन्होंने अमेरिका और चीन में काम किया है। उनका कहना है कि चीन का K-वीजा अमेरिका के H-1B Visa के बराबर है।“ उनके पिता ने कुछ साल पहले एक चीनी यूनिवर्सिटी में काम किया था, जिसके बाद से वह चीन के काम करने के माहौल और कल्चर से काफी प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, “यह मेरे जैसे लोगों के लिए विदेश में काम करने का एक अच्छा ऑप्शन है।“
क्या है चीन का के-वीजा

चाइनीज K वीज़ा एक नए तरह का वीजा है जिसे चीन ने साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स (STEM) के फील्ड में स्किल्ड विदेशी प्रोफेशनल्स को अट्रैक्ट करने के लिए शुरू किया है। इसे U.S. H-1B वीजा के मुकाबले के तौर पर पेश किया गया है और यह क्वालिफाइड लोगों को पहले से जॉब ऑफर या एम्प्लॉयर स्पॉन्सरशिप के बिना चीन में काम करने और रिसर्च करने की इजाजत देता है।
चीन उठा रहा है फायदा

अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा को लेकर उठाया गए कदम के बाद चीन इसका फायदा उठा रहा है। वह ग्लोबल टैलेंट को अपने यहां आकर्षित करना चाह रहा है ताकि विश्व के अच्छे आईटी प्रोफेशनल उसके यहां आकर काम कर सकें और उसकी इकोनॉमी में योगदान दें। इससे चीन में काम करने वाली कंपनियों को भी फायदा होगा। उन्हें ग्लोबल टैलेंट को हायर करने में मदद मिलेगी और आसानी से कंपनियां अपने कर्मचारियों को चीन में बुलाकर उनसे काम करवा सकती हैं।

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