जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। विधानसभा के अंदर फांसी घर के जीर्णोद्धार के लिए सरकारी धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए दिल्ली विधानसभा की विशेषाधिकार समिति द्वारा जारी किए गए समन को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
याचिका पर मंगलवार को न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ सुनवाई करेगी। याचिका में केजरीवाल और सिसोदिया ने तर्क दिया है कि विशेषाधिकार समिति की कार्यवाही किसी शिकायत, रिपोर्ट या विशेषाधिकार हनन या अवमानना के प्रस्ताव पर आधारित नहीं है।
उन्होंने तर्क दिया है कि विधानसभा नियमों के नियम 66, 68, 70, 82 या अध्याय 11 के तहत विशेषाधिकार समिति के लिए लागू किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। यह भी कहा कि समिति का उद्देश्य ढांचे की प्रामाणिकता की जांच करना प्रतीत होता है, जो दिल्ली विधानसभा और विशेष रूप से इसकी विशेषाधिकार समिति के अधिकार क्षेत्र से बाहर का कार्य है।
समन को रद करने का निर्देश देने की मांग करते हुए केजरीवाल व सिसोदिया ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया।
यह समन विधानसभा परिसर के अंदर एक संरचना को लेकर उठे विवाद के बाद जारी किया गया है। आम आदमी पार्टी की पूर्व दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि यह ब्रिटिश काल का फांसी घर है और इसका उद्घाटन अगस्त 2022 में केजरीवाल और अन्य आप नेताओं की उपस्थिति में किया जाएगा।
हालांकि, वर्तमान भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार इस दावे का खंडन करते हुए कहा था कि यह संरचना मूल रूप से एक सर्विस सीढ़ी/टिफिन रूम थी और केजरीवाल, सिसोदिया और अन्य ने न सिर्फ इसे इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया, बल्कि मनगढ़ंत जगह पर सरकारी धन का अनुचित तरीके से खर्च किया।
सितंबर माह में विधानसभा सत्र के दौरान अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल सरकार ने उस जगह के जीर्णोद्धार पर एक करोड़ खर्च किए ताकि उसे जेल जैसा बनाया जा सके, स्वतंत्रता सेनानियों के भित्ति चित्र, प्रतीकात्मक लोहे की सलाखें और यहां तक कि फांसी के फंदे भी लगाए जा सकें। भाजपा विधायक प्रद्युम्न सिंह राजपूत की अध्यक्षता वाली विशेषाधिकार समिति 13 नवंबर को इस ढाँचे की प्रामाणिकता की जांच के लिए बैठक करेगी।
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