Katihar Election: दो अपने ही मैदान में, जो शहर को साधेगा, वही जीत पाएगा

LHC0088 2025-11-9 09:42:57 views 1246
  

बिहार विधानसभा चुनाव 2025। फोटो जागरण



आशीष सिंह चिंटू, कटिहार। कटिहार सदर विधान सभा क्षेत्र पिछले चार चुनावों से भाजपा का गढ़ रहा है। पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद लगातार चार बार से यहां से विधायक हैं। किंतु इस बार लड़ाई भाजपा के लिए प्रतिष्ठा और गढ़ बचाने की हो गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यहां का मुकाबला केवल दो दलों के बीच का का नहीं, बल्कि संबंधों, रणनीतियों और स्वाभिमान से भी जुड़ गया है। वहीं, राजनीतिक गलियारों में इसे पुराने और नए चावल के बीच की लड़ाई भी बताया जा रहा है।

कभी हमकदम-हमझोली रहा अपना ही खेमा आज आमने-सामने हैं। भाजपा के सामने वीआइपी से सौरभ कुमार अग्रवाल नाव लेकर चुनावी वैतरणी में हैं जो भाजपा एमएलसी अशोक अग्रवाल व नगर निगम मेयर उषा देवी अग्रवाल के पुत्र हैं।

इनके बीच राजद के बागी निर्दलीय प्रत्याशी राम प्रकाश महतों भी मुकाबले हैं। कुल मिलाकर बिखराव बनाम एकजुटता की लड़ाई में जो जितनी मजबूती से अपनी टोली समेट लेगा, जीत उससे उतनी करीब होगी।  

कटिहार सदर विधानसभा क्षेत्र में करीब 63.76 प्रतिशत की हिस्सेदारी शहरी वोटरों की है। हर चुनाव में भाजपा शहरी क्षेत्र में आगे रही है। इस बार वह पसोपेश में है, क्योंकि शहर में पकड़ के मामले में सौरभ एंड पार्टी भी कमतर नहीं।

शहर में जो मजबूत पकड़ बनाने में जितना कामयाब होगा, वह जीत के उतनी ही करीब होगा। क्षेत्र के मोंगरा खान टोला में एक घर के सामने कुछ लोगों की चौकड़ी जमी थी। यहां मां के काम का इनाम बेटे को जाता दिखा।

जहांगीर, समशुल हक, मंडल जमाल खान, जीनत जहां ने कहा कि एक बार बदलाव हुआ तो बिहार में विकास आया। इसलिए एक बार फिर बदलाव करने में क्या परेशानी है? सही काम नहीं होगा तो फिर बदल देंगे।

चार बार से एक ही चेहरा देख रहे हैं एक बार युवा को मौका देकर देखते हैं। जूट मिल बंद है। अगर चलती रहती तो रोजगार की कमी नहीं होती, पलायन भी नहीं करना पड़ता। इससे आगे बढ़ते ही सिरसा में सड़क पर ही कुछ लोग चर्चा में लीन थे।

यहां मनोज कुमार, आनंद झा, अमरेश कुमार, रंजीत कुमार आदि ने कहा कि निश्चिता को छोड़कर अनिश्चिता की ओर क्यों जाए? रातों रात पाला बदलने वाले पर कितना विश्वास? एक इधर-एक उधर, यह क्या है? सबकुछ एक ही जगह होगा? हम डिसाइडेड हैं कि हमें क्या करना है।

हसनगंज के ढेरुआ, फरही में महिलाओं की टोली बैठी दिखी। शुरुआत में कुछ भी बोलने से स्पष्ट मना कर दिया। फिर फोटो खिंचवाने से मना करते हुए तुतली देवी, विमला देवी, छवि देवी, सुचोलना देवी, बुन्नी देवी, रीता देवी, जूली झा ने कहा कि जो खाने को दे रहा, जो हमारी मदद कर रहा, जिसने हमें नई पहचान व प्रमुखता दी, हमलोग उसके साथ नहीं रहेंगे तो किसने साथ रहेंगे? नमक???नहीं न करेंगे।

इससे आगे बढ़ते ही पर्दानशीं महिलाएं दिखीं। इन्होंने नाम बताने और फोटो खिंचवाने से सख्त मना कर दिया। बस इतना कहा कि हमारे लिए परिवार सबसे अहम है। हमारा दायित्व आज सहजता से पूरा हो रहा है। जुबान चुप हैं, लेकिन दिमाग तय कर चुका है।

कटिहार में शहर से लेकर गांव तक का माहौल यही इशारा कर रहा कि इस बार का चुनाव जटिल और रोचकता से भरपूर है। लिहाजा, यह हाट सीट बन गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व हरियाणा के सीएम सभा कर चुके है। महागठबंधन से तेजस्वी की सभा हुई है। कुल 11 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।
मतदाता समीकरण

  • शहरी- 63.76 प्रतिशत
  • ग्रामीण- 36.24 प्रतिशत
  • अनुसूचित जाति- 9.96%
  • अनुसूचित जनजाति- 6.36%
  • वैश्य- 35%
  • मुस्लिम- 25.9%
  • यादव- 04%
  • ब्राह्मण- 09 %
  • राजपुत- 04%
  • कायस्थ- 03%
  • अन्य- 2.78%
  • कुल वोटर- 261640
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