Rajat Jayanti Uttarakhand: प्रदेश में यातायात को लगे पंख, कच्चे रास्तों से उठकर अब हवाई-रेल व रोप वे तक का सफर

cy520520 2025-11-6 20:06:31 views 569
  

प्रदेश में तेजी से बढ़ा है संपर्क मार्गों का नेटवर्क। प्रतीकात्‍मक



विकास गुसाईं, जागरण, देहरादून। जरा याद कीजिये, अविभाजित उत्तर प्रदेश का वह दौर, जब उत्तराखंड के दूरस्थ गांवों तक पहुंचने को रोड हेड से मीलों की दूरी पैदल नापना मजबूरी था। तमाम मुख्य सड़कों पर भी सफर धूलभरा था। वक्त ने करवट बदली और उत्तराखंड राज्य बनने के बाद सरकारों ने रोड कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित किया। इसके साथ ही दिसंबर, 2000 से प्रारंभ हुई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने भी इसमें संबल प्रदान किया। आज प्रदेश के अधिकांश गांवों तक सड़क पहुंच चुकी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जाहिर है कि इसने आधारभूत ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इसके साथ ही हवाई और रोपवे कनेक्टिविटी की दिशा में राज्य तेजी से आगे बढ़ा है। निकट भविष्य में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट के पूरा होने से पहाड़ में रेल का सपना पूरा होने जा रहा है तो चारधाम तक पहुंच सुगम करने के लिए आल वेदर रोड का कार्य तकरीबन पूरा होने वाला है। हेली सेवाओं का तेजी से विस्तार हुआ है। सीमांत गांवों तक हेली सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित हुई है, जबकि देहरादून और पंतनगर एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।

केंद्र की पर्वतमाला योजना के तहत केदारनाथ, यमुनोत्री, हेमकुंड साहिब समेत अन्य रोपवे की दिशा में कदम बढ़ रहे हैं। औद्योगिक विकास तेजी से रफ्तार पकड़ रहा है। वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दौरान हुए 3.53 लाख करोड़ के निवेश करार के सापेक्ष एक लाख करोड़ से ज्यादा के करार धरातल पर उतरने लगे हैं। साफ है, सड़क, हवाई, रेल व रोपवे कनेक्टिविटी से सैलानियों और स्थानीय निवासियों के लिए सफर अधिक सुगम होने जा रहा है, वहीं सीमांत क्षेत्रों तक आधारभूत ढांचे का विस्तार हो रहा है।
प्रदेश में हेली सेवाओं को लग रहे है पंख

राज्य गठन के बाद यातायात व्यवस्था को सुगम करने की दिशा में कदम बढ़ाए गए। राज्य गठन के दौरान जो हवाई संपर्क केवल देहरादून और पंतनगर तक सीमित था आज वह प्रदेश के सुदूरवर्ती पिथौरागढ, अल्मोड़ा चमोली व उत्तरकाशी तक पहुंच गया है। इससे इन स्थानों पर स्थानीय निवासियों के साथ ही पर्यटकों का सफर सरल व सुगम हुआ है। प्रदेश सरकार अब इन सेवाओं का और अधिक विस्तार कर रही है। हेली सेवाएं आपात स्थिति में भी काफी मददगार साबित हुई हैं। ऐसे में इनकी संख्या बढ़ाकर सरकार केवल पर्यटन ही नहीं, बल्कि आपदा राहत बचाव कार्यों में इनके उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है।
चारधाम आल वेदर रोड

पर्वतीय क्षेत्रों विशेषकर चारों धाम का कठिन माने जाने वाला सफर आज सुगम हो रहा है। इसका पूरा श्रेय चारधाम आल वेदर रोड को दिया जा सकता है। यह परियोजना धीरे-धीरे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर रही है। इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य वर्ष भर सभी धाम तक सुरक्षित और सुगम आवाजाही सुनिश्चित करना है। यह विशेष रूप से सर्दियों में बर्फबारी और मानसून में भूस्खलन के कारण बाधित होने वाली यात्रा की समस्या का समाधान करेगी। साथ ही सामरिक दृष्टिकोण से भी यह परियोजना सेना के जवानों और उपकरणों की आवाजाही के लिए बेहतर बुनियादी ढांचा प्रदान करेगी। इस योजना के तहत अधिकांश कार्य पूरा हो चुका है, केवल उत्तरकाशी के 49 किमी और टनकपुर पिथौरागढ़ के बीच 45 किमी पर कार्य शुरू नहीं हो पाया है। इनकी स्वीकृति की प्रक्रिया चल रही है।
परियोजना पर एक नजर

  • कुल लागत 11700 करोड़
  • कुल लंबाई 889 किमी
  • पूर्ण एवं गतिमान कार्य 798 किमी
  • स्वीकृति का इंतजार 91 किमी


  
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण यहां रेल संपर्क पहुंचना कभी नामुमकिन माना जाता था। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन ने इस मिथक को तोड़ा है। इस योजना पर तेजी से काम चल रहा है। सामरिक दृष्टि से भी अहम इस योजना के पूरा होने से न केवल तीर्थ स्थलों तक पहुंच आसान होगी, बल्कि पिछड़े क्षेत्रों में विकास के साथ नए व्यापार केंद्रों को जोड़ा जा सकेगा। इस योजना के तहत मुख्य व निकासी मिलाकर कुल 46 सुरंग बननी हैं। इनमें से 39 सुरंग बनाने का काम पूरा हो चुका है। दो रेलवे स्टेशन बन चुके हैं, दो पर कार्य चल रहा है। शेष आठ रेलवे स्टेशन के लिए जल्द ही टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे। इस योजना को अगले वर्ष यानी वर्ष 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।



परियोजना पर एक नजर

  • लंबाई-125.20 किमी
  • लागत - 16,200 करोड़ रुपये
  • रेलवे स्टेशन - 13
  • मुख्य व निकासी सुरंग - 46
  • सुरंगों की कुल लंबाई 201 किमी


  
केदारनाथ रोप वे परियोजना


समुद्र तल से 11,657 फीट की ऊंचाई पर स्थित उत्तराखंड के प्रसिद्ध धाम केदारनाथ तक रोपवे से यात्रा की बहुप्रतीक्षित परियोजना के जल्द धरातल पर उतरने की उम्मीद है। रोप वे के जरिये यह यात्रा महज 36 मिनट में पूरी की जा सकेगी। अभी इस यात्रा को पैदल तय करने में तकरीबन आठ से नौ घंटे तक का समय लगता है। केदारनाथ रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर टेंडर प्रक्रिया और सर्वे का काम पूरा हो गया है। यह कार्य अदाणी ग्रुप को सौंपा गया है। लक्ष्य अगले पांच वर्ष में इस योजना को पूरा करने का है। इसके साथ ही 50 स्थानों पर रोप वे बनाए जाने प्रस्तावित हैं।इसके लिए उत्तराखंड रोप वे डेवलपमेंट कारपोरेशन का गठन किया गया है।

केदारनाथ रोप वे एक नजर



  • लंबाई - 13 किमी
  • लागत- 6811 रुपये
    यह भी पढ़ें- बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री और कुमार विश्वास पहुंचे उत्तराखंड, कहा- \“सीएम धामी ने खत्‍म किया भूमि जिहाद\“
    यह भी पढ़ें- उत्तराखंड रजत जयंती वर्ष पर सीएम धामी को मिला संत समाज का आशीर्वाद, देशभर के संतों ने कहा- “देवभूमि का धर्मरक्षक”
  • टावर - 22 टावर
  • समय सीमा- निर्माण के बाद पांच वर्ष
like (0)
cy520520Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
cy520520

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1310K

Credits

Forum Veteran

Credits
138324

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com