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गोरखपुर में विरासत गलियारा के मुआवजा और स्वामित्व विवाद पर हुआ मंथन, अधिकारी बोले- हर प्रभावित को मिलेगा उसका पूरा अधिकार

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जागरण संवाददाता, गोरखपुर। शहर की पहचान और ऐतिहासिक धरोहर को नई आभा देने वाली विरासत गलियारा परियोजना को लेकर बुधवार को मंडलायुक्त सभागार में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता मंडलायुक्त अनिल ढींगरा ने की। इस दौरान विधायक गोरखपुर ग्रामीण विपिन सिंह, जिलाधिकारी दीपक मीणा, एडीएम सिटी अंजनी कुमार सिंह, एसडीएम सदर दीपक गुप्ता और तहसीलदार ज्ञान प्रताप सिंह सहित संबंधित विभागों के अधिकारी, व्यापारी नेता, मकान मालिक और बड़ी संख्या में दुकानदार मौजूद रहे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बैठक में धर्मशाला बाजार से पाण्डेय हाता तक बनने वाले विरासत गलियारा के निर्माण, मुआवजा निर्धारण, स्वामित्व विवादों और सड़क चौड़ीकरण की प्रगति पर विस्तार से चर्चा हुई।  

कई दुकानदारों और मकान मालिकों ने अपनी समस्याएं मंडलायुक्त और जिलाधिकारी के समक्ष रखीं। उन्होंने कहा कि कुछ स्थानों पर मुआवजा राशि वास्तविक स्थिति के अनुरूप नहीं है और स्वामित्व विवादों के चलते भुगतान में अड़चनें आ रही हैं। कुछ संपत्ति में चार या पांच हिस्सेदार हैं। चार तैयार है तो एक नहीं तैयार है। इसी तरह कई इमारतों में नीचे की दुकान एक व्यक्ति की जबकि ऊपर का तल किसी अन्य के स्वामित्व में है, जिससे मुआवजा वितरण जटिल हो रहा है।

इस पर जिलाधिकारी दीपक मीणा ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व दो पक्षों में बंटा हुआ है, वहां दोनों की सहमति से मुआवजे की राशि आधा-आधा बांटने का प्रस्ताव विचाराधीन है। उन्होंने बताया कि कई प्रभावितों ने इस व्यवस्था पर सहमति भी दी है। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रशासन की प्राथमिकता यह है कि किसी के साथ अन्याय न हो और हर व्यक्ति को उसका उचित अधिकार मिले।

मंडलायुक्त अनिल ढींगरा ने कहा कि स्वामित्व विवाद का निस्तारण एक सप्ताह में कर दिया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि हर प्रभावित व्यक्ति को संतोषजनक समाधान मिले और सभी निर्णय पारदर्शी तरीके से लिए जाएं। उन्होंने कहा कि यह गलियारा परियोजना शहर की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के साथ-साथ व्यापार, पर्यटन और सुंदरीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

बैठक में यह भी निर्णय हुआ कि निर्माण कार्य की मानिटरिंग नियमित रूप से की जाएगी और शासन की समय-सीमा के भीतर परियोजना को पूर्ण करने के लिए सभी विभाग समन्वय के साथ कार्य करेंगे। मंडलायुक्त ने कहा कि प्रशासन का केवल एक ही लक्ष्य है “विरासत बचे, विकास बढ़े और नागरिकों का विश्वास बना रहे।”

विधायक विपिन सिंह ने कहा कि यह परियोजना गोरखपुर के विकास की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि मुआवजा वितरण प्रक्रिया पूर्ण पारदर्शिता के साथ हो और किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार की गुंजाइश न रहे। उन्होंने कहा कि विरासत गलियारा तैयार होने के बाद न केवल यातायात सुगम होगा बल्कि गोरखपुर का ऐतिहासिक और व्यापारिक स्वरूप निखरकर नई पहचान बनाएगा। अधिकारियों ने बताया कि इस समय सड़क चौड़ीकरण और नाला निर्माण का कार्य तीव्र गति से जारी है।

यह गलियारा शहर के ऐतिहासिक हिस्सों घंटाघर, उर्दू बाजार, रेती चौक और नखास चौक से होकर गुजरेगा। परियोजना के दायरे में आने वाले भवनों और दुकानों को नई सड़क की चौड़ाई के अनुसार तोड़ा जा रहा है। साथ ही प्रभावित संपत्ति धारकों से बैनामा कराने की प्रक्रिया निरंतर चल रही है। अब तक कुल 1666 संपत्तियों में से 1300 से अधिक का बैनामा पूरा हो चुका है, जबकि शेष मामलों में कार्य तेजी से प्रगति पर है।

अलग-अलग रंगों में होगी मार्किंग, हर चौराहे का प्रोजेक्ट का डिटेल
गोरखपुर। बैठक के दौरान व्यापारियों ने मांग की कि कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग फाइनल और स्पष्ट मार्किंग कर दे ताकि जिनके निर्माण जद में आ रहे हैं, वे उसे तोड़ ले और फिर से जीर्णाद्धार का अपना काम पूरा करा लें।

इसपर कमिश्नर ने नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल को निर्देश दिया कि निगम अलग-अलग रंगों में कहां तक सड़क, कहां तक डक्ट और कहां तक नाली होगी, इसकी गुरुवार से स्पष्ट मार्किंग करा दे। इसी तरह उन्होंने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को परियोजना रूट पर पड़ने वाले सभी प्रमुख चौराहों पर परियोजना से संबंधित साइन बोर्ड लगाए ताकि आमजन को परियोजना की पूरी जानकारी हो।
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