ट्रंप के टैरिफ पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का फैसला, क्या होगा असर (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के संघीय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के \“टैरिफ-टैरर\“ पर कोई अंतिम फैसला होगा। दुनिया भर के देशों पर मनमाने तरीके से एकतरफा टैरिफ लगाने की शक्ति अब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आ रही है, जो कार्यकारी शक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण है, जिसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ट्रिलियन-डालर का प्रभाव पड़ सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ट्रंप के व्हाइट हाउस में वापसी के बाद से सुप्रीम कोर्ट के रूढि़वादी बहुमत ने बार-बार उनकी सीमाओं को चुनौती देने वाली नीतियों को मंजूरी दी है, जिससे उन्हें निचली अदालतों में मुकदमे के चलते अस्थायी रूप से लागू करने की अनुमति मिली है। लेकिन बुधवार को न्यायाधीश पहली बार यह विचार करेंगे कि क्या ट्रंप को एक स्थायी तरीके से \“नहीं\“ कहा जाए।
ट्रंप सरकार ने क्या कहा
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले को चुनौती देने वाले कहते हैं कि टैरिफ का आर्थिक प्रभाव बहुत अधिक होगा, अगले दशक में लगभग तीन ट्रिलियन डॉलर बढ़ाने की संभावना है। दूसरी ओर, ट्रंप सरकार का कहना है कि टैरिफ अलग हैं क्योंकि वे उनके विदेश नीति के दृष्टिकोण का प्रमुख हिस्सा हैं। एक ऐसा क्षेत्र जहां अदालतों को राष्ट्रपति के निर्णय पर पुनर्विचार नहीं करना चाहिए।
गणतंत्र प्रशासन ट्रंप के आर्थिक एजेंडे के केंद्रीय टैरिफ का बचाव करने की कोशिश कर रहा है, जबकि निचली अदालतों ने यह निर्णय लिया है कि उन्होंने जो आपातकालीन कानून लागू किया है, वह उन्हें आयात पर शुल्क निर्धारित करने और बदलने की असीमित शक्ति नहीं देता।
ट्रंप ने किया पोस्ट
अमेरिकी संविधान कहता है कि कांग्रेस के पास टैरिफ लगाने की शक्ति है। लेकिन ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि आपातकालीन स्थितियों में राष्ट्रपति टैरिफ जैसे आयात करों को नियंत्रित कर सकता है। ट्रंप ने \“ट्रुथ सोशल\“ पर लिखा, \“\“यह देश के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण मामलों में से एक है। यदि एक राष्ट्रपति जल्दी और कुशलता से टैरिफ की शक्ति का उपयोग नहीं कर सकता, तो हम असुरक्षित होंगे, जो शायद हमारे राष्ट्र के विनाश की ओर ले जा सकता है।\“\“
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