राधाबल्लभ मंदिर की तस्वीर। जागरण
संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्राचीन राधावल्लभ मंदिर की जर्जर रसोई का संरक्षण कार्य शुरू कराया जाएगा। इसके लिए रसोई की छत तोड़कर नए सिरे से छत का निर्माण होगा। संरक्षण कार्य होने तक ठाकुरजी की रसोई टिनशेड में शिफ्ट की गई है। इस संरक्षण कार्य में लगभग दो माह का समय लगेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रसोई की छत तोड़कर नए सिरे से बनेगी, टिनशेड में शिफ्ट हुई ठाकुर जी की रसोई
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग संरक्षित ठाकुर राधावल्लभ मंदिर से लगी जर्जर रसोई की दशा सुधरने जा रही है। संरक्षित क्षेत्र में मंदिर की रसोई की सोठों से बनीं छत की मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है। छत के बाद रसोई की जर्जर दीवारों की भी मरम्मत की जाएगी। सरक्षण कार्य होने तक मंदिर की रसोई परिसर में टिनशेड लगाकर अस्थाई तौर पर संचालित होगी।
प्राचीन देवालयों में से एक हैं राधावल्लभ मंदिर
ठाकुर राधावल्लभ मंदिर के सेवायत मोहित मराल गोस्वामी के अनुसार नगर के प्राचीन देवालयों में से एक प्राचीन ठाकुर राधावल्लभ मंदिर का निर्माण मुगल शासक अकबर के खजानची अब्दुल रहीम खानखाना के दीवान सुंदरदास भटनागर ने पांच सौ वर्ष पूर्व संवत 1564 में कराया था, जो लाल बलुआ पत्थरों से बना है। इस प्राचीन मंदिर से सटे नवीन मंदिर के निर्माण के साथ ही रसोई का निर्माण लगभग दो सौ साल पहले किया गया। तभी से इस मंदिर में ठाकुरजी की नित दिन पूजा सेवा चल रही है।
नव निर्माण पर पूरी तरह से है रोक
प्राचीन राधावल्लभ मंदिर का संरक्षण एएसआई द्वारा किया जा रहा है। मंदिर के संरक्षित क्षेत्र में किसी तरह के नव निर्माण पर पूरी तरह रोक है। इस संरक्षित क्षेत्र में मंदिर की पुरानी रसोई की दीवार व छत जर्जर हो गई है पुनर्निर्माण में 14 कर्मचारियों की टीम को लगाया गया है।
एएसआई संरक्षण सहायक नितिन प्रिया राहुल ने बताया कि राधावल्लभ मंदिर की रसोई की छत और दीवारों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। |