जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आवारा कुत्तों के शिकार हुए लोगों को भी सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में पक्षकार बनाने का पीड़ितों ने स्वागत किया है। पीड़ितों का कहना है कि समस्या गंभीर है और इस पर तत्कालन समाधान जरूरी है। खासतौर पर खूंखार कुत्तों को तुरंत रिहायशी इलाकों व मार्केट से अलग किया जाना चाहिए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों के शिकार लोगों को पक्षकार बनाए जाने पर पीड़ितों का कहना है कि इस मामले में जब पीड़ितों की बात भी कोर्ट तक पहुंचेगी तो उससे एक सही निर्णय आने में मदद मिलेगी। क्योंकि अभी तो सिर्फ एनजीओ चलाकर करोड़ों रुपये का चंदा लेने वाले कथित कुत्ता प्रेमी ही अपनी बात को बढ़ाचढ़ाकर पेश कर रहे हैं।
बाहरी दिल्ली के पूठकलां में 31 मई को आवारा कुत्तों ने छह वर्षीय छवि को शिकार बनाया था। इसके बाद उसकी 25 दिन बाद रेबीज से मृत्यु हो गई थी। भावुक होते हुए छवि की मां अंजू शर्मा कहती है कि उनकी बेटी के जाने के बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था।
बताया कि मैं दो बार कोर्ट में सुनवाई में भी गई थी। लेकिन फिलहाल उन्हें आगे बुलाया जाएगा या नहीं यह नहीं पता लेकिन सुप्रीम कोर्ट पीड़ितों को भी सुनेगा यह निर्णय बहुत ही ज्यादा सही है। क्योंकि इससे उन लोगों की आवाज भी सुप्रीम कोर्ट तक जा पाएगी जो संसाधनों के अभाव मे कोर्ट नहीं जा पा रहे थे। हम जैसे लाखों पीड़ितों के लिए यह सबसे बेहतर है, हम अब अपनी बात सीधे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रख सकेंगे।
सबसे बड़ी बात यह है कि पीड़ित को हस्तक्षेप अर्जी देने के लिए कोई पैसा नहीं जमा कराना होगा। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर पीड़ित भी अपनी बात कोर्ट के समक्ष रख सकेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि बेटी की मौत मामले में उन्हें इंसाफ जरूरी मिलेगा। जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की उम्मीद है।
वहीं, पूर्वी दिल्ली की ब्रह्मपुरी निवासी सलमा कहती है कि मेरा बेटा सात साल का है। निगम स्कूल से अकेले घर लौट रहा था। स्कूल से कुछ दूरी पर एक आवारा देसी नस्ल के कुत्ते ने उसपर हमला कर दिया। जगप्रवेश चंद्र अस्पताल गए तो वहां इंजेक्शन नही मिला फिर आरएमएल में जाकर टीका लग पाया सुप्रीम कोर्ट ने हम जैसे लोगों को भी इस मामले में पक्षकार बनने का अवसर दिया है। हम जैसे लोग अपनी बात भी रख पाएंगे तो अदालत को जमीनी स्थिति की जानकारी मिलेगी। इससे लोगों को न्याय मिलेगा।
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मैं दो वर्ष पहले पार्क में टहलने गया था, तभी अचानक कुत्तें ने हमला कर दिया। सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि वह आवारा कुत्तों को लेकर कठोर आदेश दें क्योंकि बुजुर्ग और बच्चें सर्वाधिक इसका शिकार होते हैं। लोगों की जान जा रही है। साथ ही पर्यटन भी इससे कम हो रहा है। हमारे जानकार हैं जो विदेश में रहते हैं लेकिन वह भारत इसलिए नहीं आते क्योंकि उन्हें आवारा कुत्तों से डर लगता है। - सुनील शर्मा, ओल्ड राजेंद्र नगर निवासी
मैं गाड़ी चलाने का काम करता हूं, एक सवारी को लेने गया तो आवारा कुत्तें ने बड़ी बुरी तरह काट लिया। हमने इंजेक्शन लगवा लिया लेकिन यह पांच से छह साल पुरानी बात हो गई। हमारे पास इसका रिकार्ड तो अब नहीं है। ऐसे में हमारे जैसे लोगों की बात कोर्ट में सुनी जाएगी तो पीड़ितों को जरुर न्याय मिलेगा। - नकुल, राजेंद्र नगर निवासी |