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कुरुक्षेत्र में पति की मौत के 15 घंटे बाद पत्नी ने भी तोड़ा दम, एक ही चिता पर दोनों का किया गया अंतिम संस्कार

LHC0088 2025-10-20 11:06:51 views 989

  

कुरुक्षेत्र: पति की मौत के सदमे से पत्नी ने भी तोड़ा दम



जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र। कभी-कभी असली जिंदगी में भी ऐसी घटनाएं घट जाती हैं जो किसी भावुक फिल्म की कहानी सी लगती हैं। पिहोवा के अरुणाय गांव में एक ऐसी ही घटना सामने आई, जहां एक पत्नी ने अपने पति की मौत के महज 15 घंटे बाद खुद भी दुनिया को अलविदा कह दिया। गांव में पति-पत्नी का एक साथ एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया। इस हृदयविदारक दृश्य को देख पूरा गांव गमगीन हो गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मृतकों की पहचान 45 वर्षीय नरेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू और उनकी 40 वर्षीय पत्नी करमजीत कौर के रूप में हुई है। नरेंद्र गांव में पीर की दरगाह पर सेवा करते थे, जबकि करमजीत गृहिणी थीं। बताया जा रहा है कि शनिवार दोपहर करीब 12 बजे नरेंद्र सिंह को अचानक सीने में तेज दर्द हुआ।

स्वजन उन्हें तत्काल पिहोवा के एक निजी अस्पताल ले गए, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। नरेंद्र की मौत की सूचना जैसे ही गांव और परिवार में फैली, मातम छा गया। नरेंद्र की मौत की खबर से उनकी पत्नी करमजीत कौर बुरी तरह टूट गई थीं।

रात का समय होने के कारण नरेंद्र का अंतिम संस्कार टाल दिया गया, लेकिन रविवार तड़के करीब साढ़े तीन बजे करमजीत ने भी घर पर ही प्राण त्याग दिए। स्वजन उन्हें भी अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि उनकी मौत का कारण भी हार्ट अटैक ही हो सकता है।
बेटे ने दी मुखाग्नि

रविवार सुबह गांव में पति-पत्नी का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। दोनों की एक ही चिता सजाई गई, जिसे उनके बेटे विशु ने मुखाग्नि दी। इस मौके पर पूरे गांव की आंखें नम थीं। नरेंद्र सिंह की दो बेटियां सनूर और ट्विंकल हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। बेटा विशु, पिहोवा में कपड़े की दुकान पर काम करता है, अपनी तीन बेटियों के साथ रह रहा है।
करीब 10 वर्ष पहले गांव में आया परिवार

नरेंद्र सिंह के पिता बलवंत सिंह आर्मी से हवलदार के पद पर रिटायर हुए थे। बाद में वह हरियाणा पुलिस में कार्यरत थे। करीब 10 वर्ष पहले उनकी मृत्यु हो गई थी। बलवंत सिंह का परिवार मूल रूप से गुरुग्राम का रहने वाला था, लेकिन सेवानिवृत्त होने के बाद वे गांव अरुणाय में आकर बस गए।
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