धनतेरस को बदरीनाथ धाम में मृत्यु के राजा यमराज को पूजित किया जाता है। आर्काइव  
 
  
 
संवाद सहयोगी,जागरण गोपेश्वर। धनतेरस को बदरीनाथ धाम में मृत्यु के राजा यमराज को पूजित किया जाता है। उनकी पूजा के साथ बदरीनाथ मंदिर के सिंहद्वार पर दक्षिण दिशा में चतुर्मुख दिया जलाया जाता है। इसके बाद ही धन के राजा कुबेर व माता लक्ष्मी की पूजा होती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
देश के चारों धामों में प्रमुख भूबैकुंठ बदरीनाथ धाम में पूजा की अनोखी परंपरा है। यहां पर नारायण के साथ धन के राजा कुबेर ,माता लक्ष्मी ,गरुड ,उद्धव जी ,विराजमान रहते हैं। नारायण के साथ मां लक्ष्मी ,कुबेर सहित अन्य देवताओं की पूजाएं निरंतर चलती है लेकिन दीपावली से पूर्व धन तेरस का एेसा त्यौहार है जिस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा अर्चना के बाद लक्ष्मी व कुबेर जी की पूजा होती है।  
 
शनिवार को धनतेरस के दिन सांय छ: बजे यमराज की पूजा के साथ चर्तुमुख दिया जलाया गया ।धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल ने बताया कि परंपरानुसार पूजा अर्चना के बाद चर्तुभुज दिया जलाकर बदरीनाथ मंदिर के सिंहद्वार पर रखा गया। धर्माधिकारी ने कहा कि मृत्यु के देवता को धनतेरस के दिन पहले पूजा अर्चना की परंपरा है। ताकि लोगों का मुत्यु योग टल सके तथा दीपोत्सव या दीपावली में सुख शांति रहे। बदरीनाथ धाम में इस पूजा अर्चना में दूर दराज से लोग आते हैं।  
 
मान्यता है कि इस पूजा अर्चना से अल्पायु मृत्यु योग टलता है। शनिवार को भी देश के कोने कोने से आए श्रद्धालु इस पूजा परंपरा के साक्षी बने। |