तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण  
 
  
 
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। तार सही करने के लिए पोल पर चढ़े निविदा लाइनमैन 42 वर्षीय अनिल की बुधवार को लखनऊ में मृत्यु हो गई। उसे चार अक्टूबर को पोल पर चढ़ाया गया था। स्वजन ने बिजली निगम के जेई और एसडीओ पर लापरवाही का आरोप लगाया और शव लेकर लोहिया उपकेंद्र पहुंच गए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
उन्होंने देवरिया बाईपास जाम करने की भी कोशिश की। कांशीराम कॉलोनी से सैकड़ों लोगों के पहुंचने से स्थिति कुछ समय के लिए खराब हो गई। मौके पर पहुंची रामगढ़ताल थाना पुलिस ने लोगों को समझकर किनारे किया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।  
 
स्वजन का आरोप है कि अनिल को जबरदस्ती पोल पर चढ़ाया गया। शटडाउन लेने के बाद भी बिजली आ गई। इस कारण करंट लगने से वह पोल से नीचे गिर गया। उसके हाथ में जलने का भी निशान है। अभियंताओं ने रुपये बचाने के लिए समय से उचित उपचार नहीं कराया। यदि समय से उचित उपचार शुरू हो गया होता तो अनिल की जान नहीं जाती।  
 
कांशीराम कालोनी निवासी अनिल तकरीबन तीन वर्ष से बिजली निगम में लोहिया उपकेंद्र पर सीढ़ी मैन के रूप में काम कर रहा था। उसका काम सीढ़ी लेकर गड़बड़ी वाली जगह पर पहुंचना था। चार अक्टूबर को तड़के आंधी और वर्षा के कारण लोहिया उपकेंद्र क्षेत्र में कई जगह पेड़ की डाल गिर गई थी। 33 हजार वोल्ट की लाइन में भी गड़बड़ी आ गई थी। इस कारण पूरा उपकेंद्र बंद हो गया था।   
 
सुबह से ही अनिल को पोल पर चढ़ाकर लाइन सही कराया जा रहा था। 10 बजे वह पोल पर चढ़कर काम कर रहा था कि अचानक झटके से सिर के बल नीचे गिर गया। बिजलीकर्मियों की सूचना पर अभियंता पहुंचे और पास के अस्पताल में ले गए। यहां से उसे हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी गई। आरोप है कि रुपये बचाने के लिए बीमा से मिलने वाले लाभ के तहत अस्पताल में भर्ती करने का निर्णय लिया गया।  
 
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इस प्रक्रिया में चार से पांच घंटे बर्बाद हुए। इधर, बिजली आपूर्ति भी नहीं सही हो सकी। शाम को अनिल को मेडिकल कालेज रोड स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां उसकी हालत में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ।  
 
इसके बाद डाक्टर ने उसे लखनऊ रेफर कर दिया। बुधवार को लखनऊ में अनिल की मृत्यु के बाद स्वजन का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने अभियंताओं पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। अनिल के परिवार में उसकी पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं। सभी का रोकर बुरा हाल है। |