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लेखपाल आलोक दुबे पर कसा शिकंजा, सात के खिलाफ चार्जशीट दाखिल; करोड़ों की अवैध संपत्ति का खुलासा

deltin33 2025-10-12 18:06:16 views 127

  



जागरण संवाददाता, कानपुर। लेखपाल आलोक दुबे के खिलाफ भूमि विवाद प्रकरण में कोतवाली पुलिस ने फर्जी रजिस्ट्री और षड्यंत्र के आरोप में सात लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है। जांच में यह खुलासा हुआ है कि राजस्व विभाग के तत्कालीन कानूनगो आलोक दुबे और लेखपाल अरुणा द्विवेदी ने निजी स्वार्थ के लिए नियमों को ताक पर रख फर्जी दस्तावेज तैयार कराए और विवादित भूमि की रजिस्ट्री कराई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कला का पुरवा, रामपुर भीमसेन निवासी वादी संदीप सिंह की तहरीर पर दर्ज मुकदमा (मु.अ.सं. 52/2025) में पुलिस विवेचना के दौरान बड़े स्तर पर गड़बड़ियां सामने आईं। वादी ने बताया कि उनके पिता स्वर्गीय गंगा सिंह के हिस्से की भूमि का कुछ भाग उनकी मां मोहनलाल उर्फ लाल साहिबा ने वसीयत और दानपत्र के माध्यम से पहले ही हस्तांतरित कर दिया था।

इसके बावजूद आरोपित राजपति देवी पत्नी रघुबीर सिंह निवासी पंडपुर सहारपुरवा, औरैया तथा राजकुमारी देवी पत्नी स्व. निहाल सिंह निवासी ठाकुरगांव, बिधुना ने पूरे भूभाग पर दावा जताते हुए फर्जी रजिस्ट्री करा ली।
फर्जी चेकों से दिखाया भुगतान

जांच में सामने आया कि उक्त रजिस्ट्री में जिन चेक नंबरों का उल्लेख किया गया, उनका भुगतान कभी हुआ ही नहीं। बैंक स्टेटमेंट और दस्तावेजों के अवलोकन में यह बात पुष्ट हुई कि विक्रेताओं को कोई वास्तविक धनराशि नहीं दी गई। पुलिस ने इसे एक सोची-समझी साजिश और कूटरचना का पुख्ता प्रमाण माना है। यही नहीं, शेष भूमि का रजिस्टर्ड अनुबंध RNG इंफ्रा कंपनी के भागीदार अमित गर्ग पुत्र प्रेम नारायण गर्ग निवासी सिविल लाइंस, कानपुर के नाम कर दिया गया।
जांच में राजस्वकर्मियों की मिलीभगत उजागर

विवेचना के दौरान अपर जिलाधिकारी (वि/रा) की त्रिस्तरीय जांच रिपोर्ट में पाया गया कि तत्कालीन कानूनगो आलोक दुबे और लेखपाल अरुणा द्विवेदी ने यह जानते हुए भी कि विवादित भूमि खतौनी में राजपति और राजकुमारी के नाम दर्ज नहीं है, फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से नाम चढ़ाने की प्रक्रिया कराई। न्यायालय को धोखे में रखकर रजिस्ट्री के आदेश भी उसी दिन कराए गए।
जिलाधिकारी ने की थी पदावनति, विजिलेंस जांच जारी

इस मामले में संलिप्तता पाए जाने के बाद जिलाधिकारी ने आलोक दुबे को दंडस्वरूप कानूनगो पद से पदावनत कर लेखपाल बना दिया था। वहीं, विजिलेंस विभाग की जांच में आलोक दुबे की करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति की जानकारी भी सामने आई है। सूत्रों के अनुसार, जांच में कई बैंकों में संदिग्ध लेनदेन और संपत्तियों की खरीद-बिक्री के साक्ष्य भी मिले हैं।
अब अदालत में पेश होंगे

पुलिस ने विवेचना पूरी कर सात अभियुक्तों- राजपति देवी, राजकुमारी देवी, रघुबीर सिंह, अरुण सेंगर उर्फ अमन सेंगर, RNG इंफ्रा भागीदार अमित गर्ग, लेखपाल अरुणा द्विवेदी और कानूनगो आलोक दुबे के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 318(4), 338, 336(3), 340(2), 61(2), 352 और 351(3) में अपराध सिद्ध पाया है। आरोप पत्र संख्या 158/2025 दिनांक 11 अक्तूबर 2025 न्यायालय में दाखिल कर दिया गया है। इस पूरे प्रकरण ने राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
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