भोपाल एम्स से प्लाज्मा की चोरी (फाइल)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भोपाल एम्स से चोरी हो रहे ब्लड प्लाज्मा की अंतरराज्यीय कालाबाजारी का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस जांच में पता चला है कि एक गिरोह ने अब तक 1150 यूनिट प्लाज्मा चोरी कर महाराष्ट्र के नासिक और औरंगाबाद में स्थित दो निजी प्रयोगशालाओं को बेचा है। इन प्रयोगशालाओं में प्लाज्मा का उपयोग कर बायोमेडिकल दवाएं बनाई जा रही थीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पुलिस ने नासिक और औरंगाबाद में प्रयोगशालाओं के संचालकों को गिरफ्तार किया है।पुलिस के अनुसार, गिरोह का सरगना लक्की पाठक पहले ही पकड़ा जा चुका है। उसका भाई दीपक पाठक इस रैकेट का प्रमुख सप्लायर है। दीपक ने पूछताछ में बताया कि वह औरंगाबाद के करण चौहान और नासिक के श्याम देशमुख को चोरी किया गया प्लाज्मा बेचता था।
भोपाल एम्स से प्लाज्मा की चोरी
पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की, जिससे स्पष्ट हुआ कि चोरी का प्लाज्मा उनकी प्रयोगशालाओं में इम्यूनोग्लोबुलिन, क्लाटिंग फैक्टर, एल्ब्युमिन, और प्रोथ्रोम्बिन काम्प्लेक्स जैसी दवाओं में परिवर्तित किया जा रहा था। ये दवाएं अस्पतालों और फार्मा एजेंसियों को महंगे दामों पर बेची जाती थीं।पुलिस ने आरोपितों को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया है।
जांच में यह भी सामने आया कि एम्स ब्लड बैंक के आउटसोर्स कर्मचारी अंकित केलकर और उसका साथी अमित जाटव पिछले एक साल से प्लाज्मा चोरी कर रहे थे। बता दें कि प्लाज्मा रक्त का तरल, हल्का पीला लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा होता है, यह लाल रक्त कोशिकाओं, श्वेत रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स को पूरे शरीर में पहुंचाता है। |