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Delhi Pollution: द्वारका में प्रदूषण पर लगेगी लगाम, 7 किमी के गलियारे में DDA ने लगाया एंटी स्मॉग मिस्टिंग सिस्टम

deltin33 2 hour(s) ago views 448

  

खंभों में लगे नोजल से निकल रहा पानी का फुहार



जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। अबकि बार सर्दी में उपनगरी द्वारका के लोगों को स्वच्छ आबोहवा मिले, इसके लिए डीडीए ने समय रहते तैयारी शुरू कर दी है। पिछले वर्ष डीडीए ने एंटी स्मॉग मिस्टिंग सिस्टम की योजना को सेक्टर 6 में लागू किया था, इस बार इसका विस्तार करते हुए इसे सेक्टर 19 में शुरू किया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

शुक्रवार को प्रदेश के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने स्वचालित एंटी-स्मॉग मिस्टिंग सिस्टम का उद्घाटन किया। इस पहल का उद्देश्य हवा में मौजूद प्रदूषकों को कम करना, हवा की गुणवत्ता में सुधार करना और विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है।
6.8 किलोमीटर के दायरे में फैला मिस्टिंग सिस्टम

यह अत्याधुनिक मिस्टिंग सिस्टम द्वारका में 6.8 किलोमीटर लंबे क्षेत्र को कवर करता है, जो सेक्टर-10 के चंदनवाड़ी अपार्टमेंट से सेक्टर-19 के ओमेक्स माल और सेक्टर-20 के कमांड टैंक से सेक्टर-21 मेट्रो स्टेशन के पास लाल बत्ती तक फैला है।

इस सिस्टम में 166 स्ट्रीटलाइट पोलों पर 30-30 हाई-प्रेशर मिस्टिंग नोजल लगाए गए हैं, जो पांच मीटर की ऊंचाई पर स्थापित हैं। ये नोजल प्रति घंटे 2.8 लीटर की दर से आरओ-शुद्ध पानी का छिड़काव करते हैं, जो हवा में मौजूद धूल, कण, और ब्लैक कार्बन जैसे सूक्ष्म प्रदूषकों को कम करने में मदद करता है।
पिछले साल शुरू हुआ था पायलट प्रोजेक्ट

पिछले साल नवंबर में, जब दिल्ली गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में थी, उपराज्यपाल ने स्वयं इसकी शुरुआत की थी। तब द्वारका में 550 मीटर लंबे डीडीए रोड नंबर 224 पर 14 बिजली के खंभों पर 3 मीटर की ऊंचाई पर 30 मिस्टिंग नोजल लगाकर इसका परीक्षण किया गया था। इस सफल प्रयोग के बाद, अब इस सिस्टम को और विस्तारित व स्वचालित रूप में लागू किया गया है।
छोटे छोटे प्रयास से होगा बड़ा प्रभाव

उद्घाटन समारोह में उपराज्यपाल ने कहा कि हर सर्दी में दिल्ली को गंभीर वायु प्रदूषण का सामना करना पड़ता है, जो सभी के लिए हानिकारक है। यह मिस्टिंग सिस्टम उसी दिशा में एक कदम है। सरकार इस समस्या से निपटने के लिए कई उपाय कर रही है। मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हर संभव कदम उठाएं। छोटे-छोटे प्रयास भी शहर की हवा की गुणवत्ता पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।

लोगों की भागीदारी पर जोर देते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि तकनीकी समाधानों के साथ-साथ व्यवहारिक उपायों से हवा की गुणवत्ता में सुधार और स्वास्थ्य जोखिमों को कम किया जा सकता है। मल्टी-परपज मिस्टिंग सिस्टम यह सिस्टम न केवल हवा में प्रदूषकों को कम करता है, बल्कि सड़कों पर धूल को जमाने और पेड़-पौधों पर धूल जमा होने से रोकने में भी मदद करता है।

डीडीए ने इसके सुचारू संचालन के लिए तीन पंप हाउस बनाए हैं और एक उन्नत आरओ सिस्टम स्थापित किया है, जो पानी के कुल घुलित ठोस (टीडीएस) को 2000 से घटाकर 50 तक लाता है। आरओ प्रक्रिया से निकलने वाले अपशिष्ट जल का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाएगा, जिससे पानी की बर्बादी को न्यूनतम रखा जाएगा।
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